Sultanpur Encounter: उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में डकैती के एक आरोपी को 5 सितंबर को पुलिस एनकाउंटर में गोली लगने से मौत के मामले में मजिस्ट्रियल जांच के आदेश जिला प्रशासन की तरफ से दिए गए हैं. हालांकि इस एनकाउंटर पर काफी सवाल उठ रहे हैं और समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने प्रतिक्रिया दी है. वहीं रविवार को अखिलेश यादव के बयान पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने जवाब दिया है.


सीएम योगी ने रविवार को एक अंबेडकर नगर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए सुल्तानपुर एनकाउंटर पर जवाब दिया है. उन्होंने कहा, 'सपा सरकार में जितना बड़ा गुंडा उसका उतना बड़ा ओहदा होता था. आपसी मुठभेड़ में डकैत मारा जाता है तो सपा को बुरा लगता है. उनको नहीं पता था कि जनता अंगड़ाई लेगी, यह गुंडे और माफिया एक-एक करके यमलोक की यात्रा के लिए प्रस्थान कर जाएंगे और जनता-जनार्दन के साथ अन्याय का हिसाब चुकता होगा.'


इससे पहले अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा था, "लगता है सुल्तानपुर की डकैती में शामिल लोगों से सत्ता पक्ष का गहरा संपर्क था, इसीलिए तो नकली एनकाउंटर से पहले ‘मुख्य आरोपी’ से संपर्क साधकर सरेंडर करा दिया गया और अन्य सपक्षीय लोगों के पैरों पर सिर्फ दिखावटी गोली मारी गई और ‘जात’ देखकर जान ली गई."


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क्या बोले सपा प्रमुख
उन्होंने आगे कहा कि जब मुख्य आरोपी ने सरेंडर कर दिया है तो लूट का सारा माल भी पूरा वापस होना चाहिए और सरकार को मुआवजा अलग से देना चाहिए, क्योंकि ऐसी घटनाओं का जो मानसिक आघात होता है, उससे उबरने में बहुत समय लगता है, जिससे व्यापार की हानि होती है, जिसकी क्षतिपूर्ति सरकार करे.


अखिलेश यादव ने कहा था, "नकली एनकाउंटर रक्षक को भक्षक बना देते हैं. समाधान नकली एनकाउंटर नहीं, असली कानून-व्यवस्था है. भाजपा राज अपराधियों का अमृतकाल है. जब तक जनता का दबाव व आक्रोश चरम सीमा पर नहीं पहुंच जाता है, तब तक लूट में हिस्सेदारी का काम चलता रहता है और जब लगता है जनता घेर लेगी तो नकली एनकाउंटर का ऊपरी मरहम लगाने का दिखावा होता है. जनता सब समझती है कि कैसे कुछ लोगों को बचाया जाता है और कैसे लोगों को फंसाया जाता है."


दूसरी ओर मजिस्ट्रियल जांच के आदेश की पुष्टि करते हुए सुल्तानपुर एडीएम प्रशासन गौरव शुक्ला ने बताया कि 5 सितंबर को थाना कोतवाली देहात क्षेत्र के अंतर्गत अपराधी मंगेश और कुंभे की एसटीएफ के साथ हुई मुठभेड़ में मौत के मामले में उपजिलाधिकारी लंभुआ को मजिस्ट्रियल जांच के लिए नामित किया है. उनको अपनी रिपोर्ट 15 दिनों के भीतर देने के निर्देश दिए गए हैं.