लखनऊ, एबीपी गंगा। चुनावी मौसम में दो चीजों की चर्चाएं सबसे ज्यादा सुनाई पड़ती हैं। पहली- किस दल ने कितनी महिलाओं को टिकट दिया, दूसरा- अल्पसंख्यक उम्मीदवारों पर पार्टियां कितनी मेहरबान हुईं। इस खबर में हम बात कर रहे हैं प्रदेश के इतिहास में सुल्तानपुर लोकसभा क्षेत्र में महिला उम्मीदवारों की दावेदारी और उनपर मतदाताओं के भरोसे के बारे में।


चार बार चुनावी दंगल में उतरीं, हमेशा हारीं


सुल्तानपुर संसदीय क्षेत्र में चार बार महिला प्रत्याशी चुनावी दंगल में अपना दमखम दिखाने उतरी हैं। हालांकि हर बार उन्हें विभिन्न दलों के सूरमाओं से करारी मात खानी पड़ी। यहां के मतदाता महिला प्रत्याशियों पर भरोसा न कर सके और हर बार उनके संसद तक पहुंचे के सपने को चकनाचूर किया।


 हैं वो चार महिला प्रत्याशीये




  1. रीता बहुगुणा जोशी

  2. डॉ.वीणा पाण्डेय

  3. दीपा कौल

  4. डॉ. अमिता सिंह


रीता बहुगुणा जोशी


वर्तमान में यूपी कैबिनेट में महिला एवं बाल विकास कल्याण मंत्री रीता बहुगुणा जोशी को 1998 में सुल्तानपुर लोकसभा क्षेत्र से समाजावादी पार्टी के अध्यक्ष रहे मुलायम सिंह यादव ने प्रत्याशी बनाया था। उस वक्त वे इलाहाबाद (वर्तमान प्रयागराज) से निर्दलीय मेयर थीं। बहुगुणा को भाजपा प्रत्याशी देवेंद्र बहादुर सिंह ने करारी शिकस्त दी थी। कहा जाता है कि पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी की भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में की गई जनसभा ने चुनावी हवा का रुख मोड़ दिया और रीता बहुगुणा को चुनावी दंगल में पटखनी खानी पड़ी। बता दें कि रीता बहुगुणा जोशी स्व.हेमवती नन्दन बहुगुणा की बेटी हैं।


दीपा कौल


जवाहरलाल नेहरू की भतीजी दीपा कौल को 1999 में कांग्रेस ने सुल्तानपुर लोकसभा क्षेत्र से प्रत्याशी बनाया। इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी सत्यदेव सिंह का नामांकन के बाद पर्चा खारिज हो गया। ऐसे में उनका सीधा मुकाबला बसपा प्रत्याशी जयभद्र सिंह और सपा प्रत्याशी रामलखन वर्मा के बीच हुआ। 1999 के चुनाव में यहां बाहरी बनाम स्थानीय का नारा जोरों पर गूंजा। गांधी परिवार की करीबी दीपा कौल पर यहां के लोगों ने भरोसा न करते हुए उन्हें खारिज कर दिया और बसपा प्रत्याशी जयभद्र सिंह चुनाव जीत गए।


डॉ.वीणा पाण्डेय


साल 2004 में सुल्तानपुर लोकसभा क्षेत्र से डॉ.वीणा पाण्डेय चुनावी दंगल में चुनौती देने उतरीं। भाजपा ने उन्हें अपना प्रत्याशी बनाया, लेकिन बसपा के मो.ताहिर खां के सामने को टिक न सकीं और बुरी तरह हारीं। वो इस चुनाव में चौथे स्थान पर रहीं। बसपा ने सांसद जयभद्र सिंह का टिकट काटकर मो.ताहिर खां पर भरोसा जताया और वो इस भरोसा पर खरे उतरे। सपा ने पूर्व विधायक पवन पाण्डेय का टिकट काटकर विधान परिषद सदस्य रहे शैलेंद्र प्रताप सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया, तो कांग्रेस ने गांधी परिवार के करीबी पूर्व केंद्रीय मंत्री कैप्टन सतीश शर्मा को चुनावी दंगल में उतारा। सपा, बसपा और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय मुकाबला रहा और बसपा प्रत्याशी मे जीत दर्ज की, तो वीणा चौथे पायदान पर रहीं।


डॉ. अमिता सिंह


2014 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने डॉ.अमिता सिंह को सुल्तानपुर से अपना उम्मीदवार चुना। उधर, भाजपा ने वरुण गांधी पर अपना दांव चला। सपा ने शकील अहमद को प्रत्याशी बनाया और बसपा ने पूर्व विधायक पवन पांडेय पर भरोसा जताया। इस चुनाव में मोदी लहर का जादू पूरे देश में चला और भाजपा प्रत्याशी वरुण गांधी ने जीत दर्ज की। कांग्रेस प्रत्याशी अमिता सिंह को करारी हार का सामना करते हुए चौथे पायदान पर रहीं।


इस बार सुल्तानपुर के चुनावी रण में बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी है। बीजेपी ने मां-बेटे की सीटों की अदला-बदली कर मेनका को सुल्तानपुर से अपना प्रत्याशी बनाया है, जबकि सुल्तानपुर के वर्तमान सांसद वरुण गांधी को अपनी मां मेनका की कर्मभूमि पीलीभीत से उम्मीदवार बनाया है। अब देखना ये होगा कि क्या एक बार फिर सुल्तानपुर महिलाओं उम्मीदवार को लेकर अपना इतिहास दोहराएगा या फिर मेनका गांधी नया इतिहास रचेंगी।