सुल्तानपुर, एबीपी गंगा। चुनावी यादों से जुड़ा ये किस्सा है साल 1960-61 का, जब सुल्तानपुर लोकसभा सीट पर उपचुनाव हुआ था। 1957 के चुनाव में इस सीट से कांग्रेस के दिग्गज नेता गोविंद मालवीय विजयी हुए थे, लेकिन 1960 में उनके निधन हो जाने के कारण यहां पर उपचुनाव होने का ऐलान किया गया।
इस सीट से कांग्रेस नेता बाबू गनपत सहाय उपचुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया। इससे नाराज होकर बाबू गनपत बागी हो गए और निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरने का फैसला किया। कांग्रेस ने पंडित गोविंद बल्लभ पंत के बेटे केसी पंत को अपना उम्मीदवार चुना। केसी पंत की जीत के लिए कांग्रेस ने पूरी ताकत झोंक दी। यहां तक की इंदिरा गांधी भी उनके समर्थन में प्रचार करने सुल्तानपुर आईं।
लेकिन बागी बाबू गनपत सहाय के प्रचार के आगे इंदिरा का भी जादू नहीं चला। सहाय ने गांव-गांव घूमकर किसानों और आम लोगों से जनसंपर्क स्थापित किया। उनका ये प्रयास सफल रहा और भारी जनसमर्थन हासिल कर उन्होंने पंत को शिकस्त दी। इस तरह इंदिरा भी पंत की हार को टाल नहीं सकी और कभी कांग्रेस की टिकट चाहने वाले गनपत सहाय निर्दलीय विजयी रहे और कांग्रेस प्रत्याशी को हराया।