नई दिल्ली, एबीपी गंगा। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ सोशल मीडिया पर टिप्पणी करने वाले पत्रकार प्रशांत कनौजिया को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। अदालत ने योगी सरकार को आदेश दिया है कि वो जेल में बंद प्रशांत को तुरंत रिहा करे। मंगलवार सुबह हुई सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि एक नागरिक के अधिकारों का हनन नहीं किया जा सकता है, उसे बचाए रखना जरूरी है। बतादें कि सोमवार को प्रशांत की पत्नी जिगीषा अरोड़ा कनौजिया ने गिरफ्तारी के विरोध में याचिका दायर की थी।
अदालत ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने कनौजिया की गिरफ्तारी को लेकर योगी सरकार पर कड़ी टिप्पणी की है। अदालत ने राज्य सरकार से पूछा कि आपत्तिजनक पोस्ट पर विचार अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन इस पर गिरफ्तारी क्यों? इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने आईपीसी की धारा 505 के तहत इस मामले में एफआईआर दर्ज करने पर भी सवाल खड़े किए हैं। अदालत ने योगी सरकार से सवाल किया है कि किन धाराओं के तहत ये गिरफ्तारी की गई है। गौरतलब है कि प्रशांत पर योगी आदित्यनाथ के खिलाफ सोशल मीडिया पर अभद्र भाषा के इस्तेमाल का आरोप है।
मायावती ने किया कनौजिया का समर्थन
कनौजिया की गिरफ्तारी ने सियासी रूप ले लिया। बसपा प्रमुख मायावती ने कनौजिया की गिरफ्तारी का विरोध किया था। मायावती ने ट्वीट कर कहा था कि यूपी सीएम के खिलाफ अवमानना के सम्बंध में लखनऊ पुलिस द्वारा स्वतः ही संज्ञान लेकर पत्रकार प्रशान्त कनौजिया सहित 3 की दिल्ली में गिरफ्तारी पर एडीटर्स गिल्ड आफ इण्डिया व अन्य मीडिया ने काफी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है लेकिन क्या इससे बीजेपी व इनकी सरकार पर कोई फर्क पड़ने वाला है?