नई दिल्ली: यूपी की योगी सरकार को बर्खास्त करने के मांग कर रहे एक याचिकाकर्ता को सुप्रीम कोर्ट आज कड़ी फटकार लगाई. कोर्ट ने कहा, "याचिका बिना किसी रिसर्च के दाखिल की गई है. मामले से याचिकाकर्ता का कोई संबंध भी नहीं है."
तमिलनाडु से आने वाले सुप्रीम कोर्ट के वकील सी आर जया सुकिन ने याचिका दाखिल कर यूपी को अपराध का केंद्र बताया था. उन्होंने कहा था कि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की जनवरी 2020 में जारी रिपोर्ट के मुताबिक यूपी में हर 2 घंटे में बलात्कार का एक मामला दर्ज होता है. हर 90 मिनट में बच्चों के साथ अपराध होता है. दलित और मुस्लिम वहां सुरक्षित नहीं है. राज्य की इतनी गंभीर परिस्थितियों के बावजूद केंद्र सरकार चुप है. इसलिए, सुप्रीम कोर्ट दखल दे. केंद्र से कहे कि वह संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत यूपी सरकार को बर्खास्त कर वहां राष्ट्रपति शासन लगाए.
मामला चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच के सामने लगा. चीफ जस्टिस ने याचिकाकर्ता से पूछा, “आपने क्या दूसरे राज्यों को लेकर भी कोई रिसर्च की है?” याचिकाकर्ता ने जवाब दिया, “हां, मैंने की है.“ इस पर कोर्ट ने पूछा, “यह बात आपकी याचिका में कहां लिखी है?” याचिकाकर्ता ने इसका कोई स्पष्ट जवाब देने की बजाय कहा कि देश के कुल अपराध का 30 प्रतिशत यूपी में होता है.
कोर्ट ने जया सुकिन से आगे पूछा, "यह याचिका आपने क्यों दाखिल की है? आपका कौन सा मौलिक अधिकार मामले में प्रभावित हो रहा है?” वकील ने जवाब दिया, “मैं भारत का एक नागरिक हूं. इसलिए, कोर्ट के सामने मसला मैंने रखा है." इस पर कोर्ट ने कहा कि बिना किसी रिसर्च के याचिका दाखिल कर वह कोर्ट का समय बर्बाद कर रहे हैं.
याचिकाकर्ता ने इसके बाद भी जिरह की कोशिश की. इस पर उन्हें रोकते हुए चीफ जस्टिस ने कहा, “अगर आप ने इसके आगे बहस की, तो हम आप पर हर्जाना लगाएंगे." कोर्ट के रुख को देखते हुए याचिकाकर्ता चुप हो गए. इसके बाद कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी.