सुप्रीम कोर्ट ने वेब सीरीज मिर्जापुर के निर्माता और निर्देशक समेत कई लोगों को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है. मिर्जापुर जिले की मनगढ़ंत कहानी बनाकर पेश करने के मामले पर जिले के मूल निवासी सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है.


मिर्जापुर वेब सीरीज में जनपद की धार्मिक, आध्यात्मिक और सामाजिक जीवन को दर किनार कर जो दर्शाया गया है उससे जन मानस को आघात पहुंचा है. जिले को माफिआओं का शहर बनाकर दिखाया गया है. 18वीं शताब्दी में यह जिला दुनिया का प्रमुख व्यापारिक केंद्र रहा है. जिले के पत्थर, पीतल बर्तन उद्योग को दर किनार कर असलहों का बाजार दिखाया गया है. जनपद वासियों को असभ्य और माफिया दर्शाने से जिले के लोगों के प्रति नजरिया बदलने से उनकी नौकरी और सामाजिक जीवन में असर पड़ा है. अब इस फिल्म के पार्ट थ्री की शूटिंग की जा रही है. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका दाखिल होने के बाद उसी दिन संज्ञान लेकर नोटिस जारी किया है. सुनवाई के लिए आठ मार्च की तारीख तय की है.


कई धाराओं के तहत दर्ज हुआ मामला
मिर्जापुर वेब सीरीज के निर्माताओं के खिलाफ प्रदेश के मिर्जापुर जिले के कोतवाली देहात पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी. जिसमें आरोप है कि मिर्जापुर कस्बे को सीरीज में गलत ढंग से दिखाया गया है, जिससे धार्मिक आस्था को चोट पहुंचती है.


वेब सीरीज के निर्माताओं के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 295-ए, 504, 505 और 34 और आईटी कानून की धारा 67-ए के तहत मामला दर्ज किया गया था. सिधवानी और दूसरे निर्माता के वकीलों ने दलील दी है कि भले ही एफआईआर में लगाए गए सभी आरोपों को सही मान लिया जाए तो भी याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता. ऐसा कोई आरोप नहीं है कि इस वेब सीरीज का निर्माण नागरिकों की धार्मिक और सामाजिक भावनाओं को आहत करने के इरादे से किया गया है.


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