Prayagraj News: कॉलेजियम सिस्टम को लेकर न्यायपालिका और सरकार के बीच की तल्खी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. यह तल्खी शनिवार को प्रयागराज (Prayagraj) में इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की स्थापना के डेढ़ सौ साल पूरे होने पर आयोजित कार्यक्रम में भी देखने को मिली. इस कार्यक्रम में केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू और सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस विक्रम नाथ ने हल्के-फुल्के अंदाज में अपने-अपने पक्ष को सही बताने की कोशिश की.


जस्टिस विक्रम नाथ ने मजाकिया लहजे में कहा कि सरकार ने एक ऐसे नेता को कानून मंत्री बना दिया है, जिसने कानून की पढ़ाई तो की है, लेकिन कभी वकालत नहीं की. जस्टिस विक्रम नाथ ने कहा कि किरेन रिजिजू अच्छे राजनेता के साथ ही गायक और डांसर तो है ही, साथ ही बड़े खिलाड़ी भी हैं. हालांकि वह कौन सा खेल खेलते हैं, यह बताया नहीं जा सकता. उन्होंने साफ तौर पर कहा कि न्यायपालिका से जुड़े लोग मौन रहते हैं, फिर भी कॉलेजियम विवाद लगातार सुर्खियों में बना रहता है. 


जस्टिस विक्रम नाथ ने केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू का नाम लेकर उनके लिए मंच से कुमार विश्वास की चर्चित कविता कोई दीवाना कहता है - कोई पागल समझता है को भी सुनाया. जस्टिस विक्रम नाथ कानून मंत्री के लिए जब कविता गाकर सुना रहे थे तब पूरा कार्यक्रम स्थल ठहाकों से गूंज उठा.


इस मौके पर ये बोले कानून मंत्री
जस्टिस विक्रम नाथ के बाद अपना संबोधन करते हुए केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने भी कॉलेजियम सिस्टम पर अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि यह सब की जिम्मेदारी बनती है कि हर किसी को सस्ता और सरल तरीके से न्याय सुलभ हो. कहा जाता है कि हमारी वजह से यह मुद्दा लगातार सुर्खियों में रहता है, लेकिन जब हम नहीं बोलते तब भी इस पर चर्चा छिड़ी रहती है और इस पर बहसबाजी कर विवाद को बढ़ाने का काम किया जाता है. किरेन रिजिजू ने कहा के कई लोग रिटायर होने के बाद टीवी की बहस में शामिल होते हैं और मामले को बेवजह तूल देने देकर उसे राष्ट्रीय मुद्दा बनाने की कोशिश करते हैं.


कानून मंत्री ने साफ तौर पर कहा कि किसी को भी खुद को देश का मालिक नहीं समझना चाहिए. देश की असली मालिक यहां रहने वाली जनता है और बाकी लोग सिर्फ संविधान का पालन कराने के लिए हैं. संविधान ही इस देश की गाइड है. कानून मंत्री ने खुद को महान देश का सेवक बताया तो साथ ही साथ किसी का नाम लिए बिना कहा कि जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों को बहुत सोच समझकर ही बोलना और निर्णय करना चाहिए.


कानून मंत्री ने कहा कि देश की अदालतों में साढ़े चार करोड़ से ज्यादा मुकदमे पेंडिंग है. अगर अभी कोशिश नहीं की गई तो बहुत जल्द ही यह संख्या आठ करोड़ का आंकड़ा पार कर जाएगी और लोग न्याय का इंतजार करते-करते खत्म हो जाएंगे. उन्होंने कहा कि फिलहाल सभी लोगों को कैसे आसानी से सस्ता न्याय मिले, इस बारे में सोचना चाहिए. मातृभाषा के साथ ही क्षेत्रीय भाषाओं में अदालत का कामकाज होना चाहिए. उसके फैसले होने चाहिए.


कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि सरकार छोटी-छोटी पंचायतों और ट्रिब्यूनल्स के जरिए मुकदमों को निचले स्तर पर ही खत्म कराने की कोशिश में लगी हुई है. हालांकि उन्होंने यह सफाई भी दी कि कॉलेजियम समेत किसी भी मुद्दे पर न्यायपालिका और सरकार के बीच कतई कोई मतभेद नहीं है. कई बार मीडिया में बेवजह सुर्खियां बना देता है.


यह भी पढ़ें:-


Ramcharitmanas Row: फिर बोले सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य, इन घटनाओं के आधार पर उठाया जातीय अपमान का मुद्दा