मेरठ: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने कैबिनेट बैठक में लव जिहाद पर अंकुश लगाने के लिए उ.प्र. विधि विरुद्ध प्रतिषेद अध्यादेश 2020 पास किया है. जानकारों की माने तो इससे लव जिहाद के मामलों में काफी हद तक कमी आएगी. उत्तर प्रदेश में देखा गया है कि समुदाय विशेष के युवा अपनी पहचान छिपाकर न सिर्फ अन्य समुदाय की लड़कियों को बहला फुसला ही नहीं लेते, बल्कि घर से भगा कर उनका यौनशोषण करते हैं. इतना ही नहीं शादी के लिए मजबूर कर जबरन धर्म परिवर्तन करा देते हैं.


जबरन धर्म परिवर्तन की इजाजत नहीं देता इस्लाम


जानकारों व मुस्लिम धर्म गुरुओं की मानें तो इस्लाम मे शादी के लिए धर्म परिवर्तन का कोई प्रावधान ही नहीं है. इस्लाम जबरदस्ती धर्म परिवर्तन कराने की कतई इजाजत नहीं देता. इस तरह की हरकत करने वालों के लिए इस्लाम में कोई जगह नहीं है.


अधिकांश युवतियों में जानकारी का अभाव


सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता फराह फ़ैज़ ने बताया कि लड़कियों को नियम कानूनों एवं धार्मिक जानकारी नहीं होने की वजह से मजबूरीवश धर्म, लव जिहाद का शिकार हो जाती हैं. इसलिए पढ़ाई लिखाई के साथ सामाजिक, धार्मिक और कानून की जानकारी होना अब लड़कियों के लिए बहुत जरूरी है. क्योंकि लव जिहाद में फंसी युवतियों के पास घर वापसी का कोई रास्ता नहीं रह जाता है, क्योंकि परिजन लोक लाज़ के डर से पहले ही किनारा कर लेते हैं.


अपराध की श्रेणी में आया धर्म परिवर्तन


यूपी में योगी आदित्यनाथ की सरकार ने शादी के लिए धर्म परिवर्तन एवं लव जिहाद के खिलाफ विधेयक पारित कर इस कृत्य को अपराध की श्रेणी में रखा है. इस कानून के तहत हिन्दू युवतियों को बर्गलाकर धर्म परिवर्तन कर विवाह की संवैधानिक रूप से कोई मान्यता नहीं होगी. यूपी कैबिनेट ने इस तरह के विवाह को गैरकानूनी बताया है. जबरन धर्म परिवर्तन करा शादी करना अपराध माना जायेगा. जिसके चलते बेटियों को गुमराह कर लव जिहाद में फंसाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का प्रावधान लाया गया है.


कानून में 10 साल की सजा का प्रावधान


सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता फराह फ़ैज़ ने बताया कि यूपी सरकार का यह फैसला सराहनीय है. लव जिहाद के खिलाफ बनाये गए कानून में 10 साल की सजा और 15000 रुपए के जुर्माने का प्रावधान रखा है. अगर शादी के लिए सामूहिक रूप से धर्म परिवर्तन कराया जाता है तो ऐसी संस्थाओं का पंजीकरण भी निरस्त कराया जाना तय है. हाईकोर्ट इलाहाबाद ने पिछले दिनों अपने एक फैसले में यह साफ कर चुके है कि शादी करने के लिए धर्म परिवर्तन जरूरी नहीं है. कोर्ट ने स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत दो समुदाय के लोग शादी कर सकते हैं. इसके लिए लोगों का जागरूक होना भी जरूरी है.


उन्होंने बताया कि अगर लव जिहाद का यह अध्यादेश लड़कियों की अस्मिता को सोचकर उनकी डिग्निटी को बचाने के लिए और उनकी सुरक्षा के लिए लाया गया है, तो बहुत ही सराहनीय कदम है, और अगर राजनीति के लिए लाया गया है तो इससे गिरी हुई बात कोई और नहीं हो सकती. लव जिहाद के खिलाफ बनाये गए कानून पर अब राजनीति ना होकर इसे कानून की शक्ल दे देनी चाहिए. ताकि लड़कियों की सुरक्षा हो सके और जबरन धर्म परिवर्तन की घटनाओं पर अंकुश लग सके. इस कानून के आने से हिन्दू मुस्लिम दोनों धर्मों के लोग सुरक्षित रह सकेंगे. बिना वजह साम्प्रदायिक तनाव से भी समाज को मुक्ति मिलेगी.


ये भी पढ़ें.


प्रयागराज: जेल में रहते हुए बीजेपी नेता के फेसबुक एकाउंट पर डाली पोस्ट, विवाद बढ़ने पर डिलीट किया