(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
हाथरस मामले में SC से जांच की निगरानी और मुकदमा दिल्ली ट्रांसफर करने की मांग, आदेश सुरक्षित रखा गया
Hathras Case: हाथरस केस को लेकर दाखिल याचिका पर SC ने आदेश सुरक्षित रख लिया है. याचिका में हाथरस मामले में SC से जांच की निगरानी और मुकदमा दिल्ली ट्रांसफर करने की मांग की गई है.
नई दिल्ली: हाथरस मामले को लेकर दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रख लिया है. कोर्ट के सामने मुकदमे को दिल्ली ट्रांसफर करने, सीबीआई जांच की निगरानी और पीड़ित परिवार को सीआरपीएफ की सुरक्षा दिलाने जैसे कई मसले रखे गए. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह संकेत दिया कि वह सभी याचिकाओं को इलाहाबाद हाईकोर्ट भेजने को इच्छुक है.
पिछले हफ्ते हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े की अध्यक्षता वाली बेंच ने यूपी सरकार से पीड़ित परिवार को दी गई सुरक्षा और वकील की उपलब्धता पर जवाब मांगा था. इसका जवाब देते हुए यूपी सरकार ने बताया था कि गांव के बाहर, गांव के भीतर और पीड़ित परिवार के घर के बाहर, पुलिस और राज्य सैनिक बल के जवान बड़ी संख्या में तैनात किए गए हैं. परिवार के सभी सदस्यों को निजी सुरक्षाकर्मी भी दिए गए हैं. घर के बाहर 8 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. यूपी सरकार ने कोर्ट को यह भी बताया कि पीड़ित परिवार ने सीमा कुशवाहा को अपना वकील नियुक्त किया है.
पीड़ित परिवार की वकील सीमा कुशवाहा आज खुद सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश हुईं. उन्होंने मुकदमे को दिल्ली ट्रांसफर करने और सीबीआई जांच की सुप्रीम कोर्ट से मॉनिटरिंग की मांग की. यूपी सरकार के लिए पेश सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने भी सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है कि वह मामले की जांच की निगरानी करे. उसे समय सीमा में पूरा करने को लेकर आदेश दे.
मामले में अलग-अलग याचिकाकर्ताओं की तरफ से वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह, कॉलिन गोंजाल्विस, अपर्णा भट्ट पेश हुए. इंदिरा जयसिंह ने पीड़ित परिवार को सीआरपीएफ की सुरक्षा देने की मांग की. उत्तर प्रदेश के डीजीपी की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा, “पीड़ित परिवार सुरक्षित महसूस कर सके, यह यूपी सरकार और पुलिस की प्राथमिकता है. हमें सीआरपीएफ की सुरक्षा दिए जाने पर भी कोई एतराज नहीं है. लेकिन इस कार्रवाई को यूपी पुलिस के ऊपर नकारात्मक टिप्पणी की तरह न लिया जाए.“ इस पर चीफ जस्टिस ने उन्हें आश्वस्त करते हुए कहा, “हमने यूपी पुलिस के ऊपर कोई टिप्पणी नहीं की है.“
सुनवाई के दौरान आरोपियों की तरफ से वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा भी पेश हुए. आरोपियों को भी पक्ष रखने का मौका दिया जाने का इंदिरा जयसिंह ने कड़ा विरोध किया. हालांकि, कोर्ट ने उनके विरोध को दरकिनार करते हुए लूथरा को बोलने दिया. लूथरा ने आशंका जताई कि जांच की रिपोर्ट को पीड़ित पक्ष मीडिया में लीक कर सकता है. इससे आरोपियों को मुकदमे के दौरान नुकसान हो सकता है. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा, “आप यह बातें उचित कोर्ट के सामने रखिएगा. अभी इस पर विचार की कोई जरूरत नहीं है.“
करीब आधे घंटे चली सुनवाई के दौरान जजों ने कई बार यह संकेत दिया कि वह मामले को इलाहाबाद हाई कोर्ट भेज देना चाहते हैं. उनका कहना था कि हाई कोर्ट सभी पहलुओं को देखने में सक्षम है. कुछ वकीलों ने कोर्ट से आग्रह किया कि अगर निचली अदालत के मुकदमे को दिल्ली ट्रांसफर किया जाता है, तो सुप्रीम कोर्ट या दिल्ली हाई कोर्ट जांच और मुकदमे की निगरानी करे. अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो इलाहाबाद हाई कोर्ट को जांच की निगरानी के लिए कहा जाए.
सुनवाई के अंत में अलग-अलग संगठनों की तरफ से कई वकीलों ने एक साथ बोलना शुरु कर दिया. जजों ने उनकी बातों को मुकदमे के लिहाज से गैरजरूरी माना. उन्होंने मामले में रखे गए मुख्य मुद्दों पर आदेश पारित करने की बात कही. इसके बाद कोर्ट उठ गई. अभी यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि आदेश कब तक आएगा.