Places of Worship Act News: प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद अब देश भर में इस कानून को लेकर चर्चाओं का दौर तेज हो चुका है. सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद ज्ञानवापी मामले के मुस्लिम पक्ष और हिंदू पक्ष की भी प्रतिक्रिया सामने आई है. मुस्लिम पक्षकार और अंजुमन इंतजामिया मसाजिद के जॉइंट सेक्रेटरी मोहम्मद यासीन ने फैसले को ऐतिहासिक बताया. 


एबीपी लाइव से बातचीत के दौरान मोहम्मद यासीन ने कहा है कि निश्चित ही ऐसे दिशा निर्देश दो साल पहले ही दिए जाने चाहिए थे पूर्व के जज को भी ऐसे निर्णय के बारे में सोचना चाहिए था. सुप्रीम कोर्ट का आज का दिशा निर्देश भी ऐतिहासिक है. सुप्रीम कोर्ट के जज बधाई के पात्र हैं हम लोगों की देश में सौहार्द के लिए कोशिश रही है और इस फैसले के बाद उसे मजबूती मिलेगी अब देश में अमन शांति और स्वाद कायम होगा.


सौहार्द के दुश्मनों की दुकान इस फैसले के बाद बंद हो जाएगी- मोहम्मद यासीन


वहीं उन्होंने दूसरे पक्ष पर भी तंज कसते हुए कहा कि सौहार्द के दुश्मनों की  दुकान इस फैसले के बाद बंद हो जाएगी. अब इस फैसले के बाद देश में अमन शांति और सौहार्द कायम होगा. इसके अलावा न्यायालय को अन्य महत्वपूर्ण मामलों के बारे में भी सोचने का समय मिलेगा. नहीं तो सिर्फ आए दिन ऐसे विषय सुर्खियों में रहते थे.


इसके साथ ही ज्ञानवापी मामले के हिंदू पक्ष अधिवक्ता मदन मोहन यादव ने कहा वर्शिप एक्ट 1991, पूजा स्थल उपबंध विधेयक पर सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित याचिका का विचारण करते हुए आज कोर्ट का निर्णय आया है. इस निर्णय पर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश देते हुए कहा है कि जब तक वर्शिप एक्ट पर सुनवाई पूरी नहीं होती है, तब तक धार्मिक मामलों में कोई भी मुकदमा नहीं किया जा सकता है, इस निर्णय पर हम ज्ञानवापी प्रकरण के पक्षकार, अधिवक्तागण स्वागत करते हैं.  


उन्होंने कहा सुप्रीम कोर्ट से हम अपेक्षा करते हैं कि करोड़ों हिंदुओं के आराध्य स्थलों के उद्धार के लिए न्यायालय में जाना हमारा मौलिक अधिकार है. हमारे लिए न्यायालय का दरवाजा बंद नहीं किया जा सकता है. अतः इस विषय पर माननीय सुप्रीम कोर्ट अवश्य ही विचार करेगा.


हिंदुओं के ऊपर हुई बर्बरता नहीं दिखाई देती- बालक दास


वहीं इस दिशा निर्देश के बाद काशी के धर्माचार्य काफी आहत नजर आए. पातालपुरी मठ के महंत और संत समिति से जुड़े बालक दास ने एबीपी लाइव से बातचीत के दौरान कहा कि सुप्रीम कोर्ट को हिंदुओं के ऊपर हुई बर्बरता नहीं दिखाई देती है. 12:00 बजे रात को आतंकवादियों के लिए अदालत लग सकती है लेकिन हिंदुओं पर होते अत्याचार नहीं देखा जाता.


4 मंदिरों का सर्वे कराया जा रहा है तब हालत खराब हो रही है- बालक दास


उन्होंने कहा दूसरा पक्ष सरिया कानून को मानता है लेकिन हम तो कोर्ट पर आस्था रखते हैं. जरा सोचिए जब हजारों मंदिरों को तोड़ा गया होगा तब हिंदुओं ने कैसे सहा होगा. आज 4 मंदिरों का सर्वे कराया जा रहा है तब हालत खराब हो रही है. क्या गुजारा होगा हिंदुओं पर कभी सुप्रीम कोर्ट सोच सकता है. ऐसा ना हो कि सुप्रीम कोर्ट से लोगों का विश्वास ही उठ जाए .


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