Vikas Dubey Encounter: सुप्रीम कोर्ट ने जांच आयोग के सदस्यों को बदलने के लिए दायर याचिका की खारिज
विकास दुबे एनकाउंटर और कानपुर शूटआउट मामले में जांच के लिए गठित तीन सदस्यीय जांच आयोग के दो सदस्यों को बदलने के लिए दायर याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गैंगस्टर विकास दुबे मुठभेड़ कांड और पुलिसकर्मियों के नरसंहार की घटनाओं की जांच के लिए गठित तीन सदस्यीय जांच आयोग के दो सदस्यों को बदलने के लिए दायर याचिका मंगलवार को खारिज कर दी. इस याचिका में आयोग के सदस्य हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश शशिकांत अग्रवाल और पूर्व पुलिस महानिदेशक के एल गुप्ता को हटाने का अनुरोध किया गया था.
प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने कहा कि वो गुप्ता को जांच आयोग से हटाने के लिए मीडिया इंटरव्यू का हवाला देने वाले याचिकाकर्ताओं को जांच आयोग पर किसी प्रकार का आक्षेप लगाने की इजाजत नहीं देगे. इस जांच आयोग को तीन जुलाई को कानपुर के चौबेपुर थानाक्षेत्र के बिकरू गांव में विकास दुबे और उसके गिरोह के हमले में आठ पुलिसकर्मियों के शहीद होने और इसके बाद गैंगस्टर विकास दुबे और उसके पांच सहयोगियों की पुलिस मुठभेड़ में मौत की घटनाओं की जांच करनी है.
पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सुनवाई के दौरान पूर्व पुलिस महानिदेशक गुप्ता के इंटरव्यू से संबंधित मीडिया की खबरों का अवलोकन किया और कहा कि इससे जांच पर असर नहीं पड़ेगा क्योंकि शीर्ष अदालत और उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश इस आयोग का हिस्सा हैं. शीर्ष अदालत आयोग के सदस्यों को बदलने के लिए याचिकाकर्ता घनश्याम उपाध्याय और अनूप प्रकाश अवस्थी के दो आवेदनों पर सुनवाई कर रही थी.
सुप्रीम कोर्ट ने ने 22 जुलाई को अपने आदेश में कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या और इसके बाद मुठभेड़ में विकास दुबे और उसके पांच सहयोगियों के मारे जाने की घटनाओं की जांच के लिए शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश डॉ बलबीर सिंह चौहान की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच आयोग के गठन के मसौदे को मंजूरी दी थी. न्यायालय ने कहा था कि जांच आयोग एक सप्ताह के भीतर अपना काम शुरू करके इसे दो महीने में पूरा करेगा.
कानपुर के चौबेपुर थानाक्षेत्र के बिकरू गांव में तीन जुलाई को आधी रात के बाद विकास दुबे को गिरफ्तार करने गई पुलिस की टुकड़ी पर घात लगाकर किए गए हमले में पुलिस उपाधीक्षक देवेन्द्र मिश्रा सहित आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे. विकास दुबे 10 जुलाई को मुठभेड़ में उस समय मारा गया, जब उज्जैन से उसे लेकर आ रही पुलिस की गाड़ी कानपुर के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गई और मौके का फायदा उठाकर दुबे ने भागने का प्रयास किया. दुबे के मारे जाने से पहले अलग-अलग मुठभेड़ों में उसके पांच सहयोगी भी मारे गए थे.
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