नयी दिल्ली, एजेंसी। उच्चतम न्यायालय ने संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त करने को चुनौती देने के लिये ‘दोषपूर्ण’ याचिकायें दायर करने पर शुक्रवार को नाराजगी व्यक्त की। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस ए बोबडे़ और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पीठ ने कहा कि अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त किए जाने को चुनौती देने वाली अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा की याचिका का कोई मतलब ही नहीं है।


पीठ ने शर्मा से सवाल किया, ‘‘यह किस तरह की याचिका है? इसे तो खारिज किया जा सकता था लेकिन रजिस्ट्री में पांच अन्य याचिकायें भी हैं।’’ आगे पीठ ने कहा, ‘‘आपने राष्ट्रपति का आदेश निरस्त करने का अनुरोध नहीं किया है। यह भी स्पष्ट नहीं है कि इसमें क्या अनुरोध किया गया है। इस तकनीकी आधार पर ही खारिज किया जा सकता था लेकिन इस समय रजिस्ट्री में पांच अन्य याचिकायें भी हैं जिनमें खामियां हैं।’’


प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि उन्होंने अनुच्छेद 370 पर दाखिल इस याचिका को पढ़ने में 30 मिनट लगाये परंतु कुछ समझ नहीं सके।


शीर्ष अदालत ने संबंधित वकीलों से कहा कि वे अनुच्छेद 370 को लेकर दायर अपनी छह याचिकाओं की खामियों को दूर करें और इसके साथ ही उसने सुनवाई स्थगित कर दी।


पीठ ने इस तथ्य का भी जिक्र किया कि वह अयोध्या जैसे संवेदनशील मामले की सुनवाई कर रहे न्यायाधीशों की पीठ को तोड़ कर अनुच्छेद 370 को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी।