Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने प्रयागराज के कोविड अस्पताल से एक 82 साल के बुजुर्ग के कथित रूप से लापता होने के मामले पर उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाई है. कोर्ट ने कहा कि क्या वह बुजुर्ग हवा में गायब में हो गए? चीफ जस्टिस एन वी रमना की अगुवाई वाली जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार के पैरवीकार अतिरिक्त एडवोकेट जनरल (एएजी) से पूछा कि जब बुजुर्ग व्यक्ति का ऑक्सीजन स्तर कम था और वह चलने-फिरने में असमर्थ थे तो वह गायब कैसे हो गये?
'तलाश करने में नहीं छोड़ी कसर'
खंडपीठ ने कहा कि बुजुर्ग को लापता हुये एक साल हो गया. उस परिवार की हालत का अंदाजा लगाइए. परिवार की तकलीफों को देखिए. अतिरिक्त एडवोकेट जनरल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार ने लापता बुजुर्ग को तलाशन में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है. उन्हें तलाशने में सभी संसाधनों का इस्तेमाल किया जा रहा है लेकिन अभी तक उनका पता नहीं चल पाया है.
कोरोना की दूसरी लहर की है घटना
इस पर खंडपीठ ने पूछा कि राज्य सरकार ने उनके शव की तलाश की तो एएजी ने कहा कि प्रयागराज के सभी श्मशानों में प्रशासन ने तलाश की है. इस पर जस्टिस कृष्ण मुरारी ने टिप्पणी कि तो इसका मतलब वह हवा में गायब हो गये? एएजी ने कहा कि यह घटना कोरोना की दूसरी लहर के दौरान की है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शव हाजिर करने को कहा था लेकिन लापता होने की स्थिति में ऐसा संभव नहीं है.
82 साल थी उम्र
एएजी ने खंडपीठ को बताया कि प्रशासन ने लापता बुजुर्ग के रंगीन पोस्टर भी लगवाए और उनके लापता होने के बारे में रेडियो और टीवी पर सूचना भी चलवाई. उन्होंने बताया कि इस मामले में हाइकोर्ट ने मुख्य सचिव सहित आठ अधिकारियों को समन भेजा था. खंडपीठ ने पूछा कि राज्य सरकार कितना मुआवजा देगी तो एएजी ने कहा कि यह निर्णय शीर्ष अदालत करेगी. एएजी ने तर्क दिया कि बुजुर्ग 82 साल के थे. वह कौशाम्बी में जूनियर इंजीनियर रहे थे.
उन्होंने यह भी बताया कि अभी भी सीसीटीवी फुटेज की जांच की जा रही है. गौरतलब है कि लापता बुजुर्ग के बेटे ने अस्पताल प्रशासन से अपने पिता को छोड़े जाने की गुहार लगाते हुये इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी.
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