Allahabad High Court News: सजायाफ्ता कैदियों की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई में देरी और उनकी अपील लंबित होने पर नाराजगी जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की खिंचाई की. शीर्ष अदालत ने हाईकोर्ट से लीक से हटकर सोचने और याचिकाओं का त्वरित निपटारा सुनिश्चित करने के लिए अवकाश के दिनों में भी सुनवाई के लिए कहा.


सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने नाखुशी जताते हुए कहा कि यदि हाईकोर्ट को मामले को संभालने में ‘मुश्किल’ आ रही है, तो वह ’अतिरिक्त बोझ उठाने’ और शीर्ष अदालत में याचिकाओं को मंगाने के लिए तैयार है. जस्टिस एस के कौल और जस्टिस एम एम सुंदरेश की पीठ ने कहा कि 853 आपराधिक अपील लंबित हैं, जहां याचिकाकर्ताओं ने 10 साल से अधिक समय जेल में बिताया है.


छुट्टियों पर भी हो काम- कोर्ट
पीठ ने कहा, ‘‘अगर आपको यह इतना मुश्किल लग रहा है, तो हम अतिरिक्त बोझ उठाएंगे और जमानत याचिकाओं को मंगा लेंगे. आप को लीक से हटकर नये तरीके से सोचना होगा जैसे कि रविवार और शनिवार को अवकाश के दिन बैठना. हम व्यक्ति की स्वतंत्रता के मामले में सुनवाई कर रहे हैं. हमने यह कई बार आप से कहा है.’’


शीर्ष अदालत ने आदेश दिया कि उसके समक्ष 853 मामलों की उनके क्रम संख्या के साथ एक सूची दाखिल की जाए, जिसमें व्यक्तियों द्वारा हिरासत में बिताये गये समय का ब्योरा हो. यह भी बताने के लिए कहा गया कि इनमें से किन मामलों में राज्य जमानत का विरोध कर रहा है और इसका आधार क्या है. शीर्ष अदालत ने ब्योरा देने के लिए राज्य को दो सप्ताह का समय दिया. शीर्ष अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार और इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिकारियों को एक साथ बैठकर कैदियों की अपील के लंबित रहने के दौरान जमानत आवेदनों की सुनवाई को विनियमित करने के लिए संयुक्त सुझाव देने का भी निर्देश दिया.


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