नई दिल्ली, एबीपी गंगा। सुषमा स्वराज.....न सिर्फ बीजेपी बल्कि देश की राजनीति की वो कद्दावर नेता, जो एक मुखर वक्ता थीं। जो देश की अकेली ऐसी महिला राजनेता थीं, जिन्हें जिन्हें असाधारण सांसद पुरस्कार का सम्मान मिला। सुषमा स्वराज का राजनीतिक जीवन शानदार रहा। उन्हें न सिर्फ अपनी पार्टी और देश की जनता से प्यार मिला, बल्कि विपक्ष भी उनको उतना ही प्यार और सम्मान देता था। उनके सौम्य और मृदुल स्वभाव ने हर किसी को उनकी मुरीद कर दिया। वे एकमात्र ऐसी महिला राजनेता रही हैं, जिन्हें उत्तर से लेकर दक्षिण तक की राजनीति में सफलता हासिल हुई।
सुषमा स्वराज ऐसे स्वभाव की महिला थीं, कि जो कोई एक बार भी उनसे बात करता, वो उनका फैन बन जाता। अंतरराष्ट्रीय नेता भी उन्हें People's Person कहते हैं। एक प्रखर वक्ता की पहचान रखने वाली सुषमा, जितनी बेबाकी से अपनी बात को प्रमुखता से रखती थीं, उतनी ही वे व्यवहार से सौम्य थी। मोदी सरकार-1 में बतौर विदेश मंत्री रहीं सुषमा स्वराज को जनता से खूब पसंद किया। लोगों को विश्वास था कि अगर कोई मुश्किल आएंगी, तो सुषमा स्वराज नाम का फरिश्ता उनकी मदद के लिए हमेशा खड़ा रहेगा। अपने विदेश मंत्री के कार्यकाल में उन्होंने एक तरफ अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की मजबूत छवि बनाई, तो दूसरी तरफ हर भारतीय के दिल में अपनी एक अलग जगह बनाई। जब 2019 का चुनाव लड़ने से सुषमा के असमर्थता जताई और मोदी सरकार-2 में वे विदेश मंत्री नहीं बनी, तो हर भारतीय दुखी हुआ। वो बस यही पूछ रहा था कि अब ट्वीटर पर उनकी मदद कौन करेगा, कौन उनकी परेशानियों को दूर करेगा।
सुषमा स्वराज का सफरनामा
NCC कैडेट से सर्वेष्ठ वक्ता तक....
14 फरवरी 1952 हरियाणा के अंबाला कैंट में जन्मीं सुषमा स्वराज के परिवार का संबंध बरसों से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से रहा। उनके पिता हरदेव शर्मा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख सदस्यों में से एक थे। पाकिस्तान को कई मंचों पर लताड़ लगाने वाली सुषमा के माता-पिता का संबंध लाहौर स्थित धर्मपुरा इलाके से रहा था। सुषमा ने अपनी अंबाला छावनी के सनातन धर्म कॉलेज कॉलेज से बीए (संस्कृत और राजनीतिक विज्ञान की शिक्षा हासिल की) पास किया। इसके बाद उन्होंने चंडीगढ़ की पंजाब यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री हासिल की। 1970 में उन्हें अपने कॉलेज में सर्वश्रेष्ठ छात्रा का सम्मान मिला। वे तीन साल तक सनातन धर्म कॉलेज, छावनी में NCC की कैडेट भी रहीं। सुषमा स्वराज युवावस्था से ही एक अच्छी वक्ता रहीं। उन्हें राज्य की सर्वश्रेष्ठ वक्ता के तौर पर चुना गया था। पंजाब यूनिवर्सिटी में कानून की पढ़ाई के दौरान 1973 में उन्हें उन्हें सर्वोच्च वक्ता का पुरस्कार भी दिया गया।
सुषमा स्वराज का राजनीतिक सफर
बीजेपी की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से सुषमा स्वराज ने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। छात्र राजनीति में ही उनके मुखर और ओजस्वी वक्ता होने की छलक दिखती थी। मात्र 25 साल की उम्र में साल 1977 में वे न सिर्फ सांसद बनीं बल्कि हरियाणा सरकार में कैबिनेट मंत्री का पद भी हासिल किया। अंबाला छावनी विधानसभा से चुनाव जीता।
- 1987 व 1990 में अंबाला छावनी से विधायक चुनीं गईं।
- 1977- 79 तक राज्य की श्रम मंत्री रहीं।
- 27 साल की उम्र में हरियाणा में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष चुनी गईं।
- तीन बार विधायक और 7 बार सांसद रहीं।
- 15वीं लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष संसद में पार्टी का नेतृत्व किया
- 2014 में विदर्भ से जीतकर संसद पहुंचीं और मोदी सरकार-1 में बतौर विदेश मंत्री जिम्मेदारी संभाली।
- स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए 2019 चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था।
- बता दें कि 80 के दशक में जब बीजेपी का गठन हुआ, तब से ही वो पार्टी का हिस्सा रहीं।
दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री थी सुषमा स्वराज
हरियाणा से सक्रिय राजनीति में एंट्री करने वाली सुषमा स्वराज दिल्ली की भी मुख्यमंत्री रही हैं। वे कई बार केंद्र सरकार में मंत्री पद पर रही हैं। अटल सरकार में भी वे केंद्रीय मंत्री बनाई गई।
- 1990 में पहली बार राज्यसभा के लिए चुनी गईं।
- 1990-1996 तक राज्यसभा सांसद रहीं।
- 1996 में पहली बार 11वीं लोकसभा में सांसद बनीं।
- पहली बार लोकसभा पहुंचने पर ही अटल सरकार की 13 दिन की सरकार में बतौर केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली।
- 12वीं लोकसभा में दक्षिणी दिल्ली से जीती और एक बार फिर केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री बनीं। इसके साथ ही, दूरसंचार मंत्रालय का भी अतिरिक्त प्रभार भी संभाला।
- 1998 में केंद्रीय मंत्रीमंडल से इस्तीफा दिया और दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं।
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