आगरा, नितिन उपाध्याय। आगरा में ज़िलाधिकारी प्रभु नारायण सिंह स्वयं को मुख्यमंत्री से ऊपर समझने लगे हैं, तभी उनके दिए गए निर्देशों को साइड लाइन कर रहे हैं। आज ऐसा ही चौंकाने वाला मामला देखने को मिला। जब जिलाधिकारी के निर्देश पर जिला विकास अधिकारी देवेंद्र प्रताप सिंह निलंबन के बावजूद बुधवार को एक योजना के लिए किसानों और ग्रामीणों का साक्षात्कार लेते हुए दिखे।
दरसअल पिछले साल फरवरी महीने में हुए पुलवामा अटैक में आगरा के जवान कौशल कुमार रावत शहीद हो गये थे। उनकी शहादत के मौके पर कई सारे विभागों के कर्मियों ने शहीद के परिवार की आर्थिक मदद की घोषणा की। लेकिन ये मदद उनके परिवार को नहीं मिली लेकिन जब शहीद के परिवार ने ये बात उठायी तो जांच में जिला विकास अधिकारी देवेंद्र प्रताप सिंह पैसे के गबन के दोषी पाए गए और मुख्यमंत्री ने उन्हें निलंबित करने के निर्देश सरकारी ट्विटर हैंडल के ज़रिए दे दिए।
ऐसे में मुख्यमंत्री के निर्देशों को अनदेखा करते हुए ज़िलाधिकारी प्रभु नारायण सिंह ने तानाशाही रवैया अपनाते हुए डीडीओ को डॉ भीमराव आंबेडकर रोजगार प्रोत्साहन योजना को लेकर आवेदनकर्ताओं के साक्षात्कार के निर्देश दे दिए और बाकायदा डीडीओ भी निलंबन के बावजूद विकास भवन में साक्षात्कार लेते हुए नज़र आये।
लेकिन जब इस बाबत ज़िला विकास अधिकारी देवेंद्र प्रताप सिंह से पूछा गया तो उन्होंने सफाई दी कि मुझे निलंबन का लिखित आदेश नहीं मिला है और यही बात ज़िलाधिकारी प्रभु नारायण सिंह ने बचाव में कही कि लिखित आदेश नहीं मिला है लेकिन वो शायद यह भूल गए कि डीडीओ के निलंबन का आदेश कल यानी मंगलवार को ही मुख्यमंत्री के आधिकारिक ट्विटर एकाउंट से जारी हो चुका है।