खुले में शौच से मुक्त होने के दावे की खुली पोल, शौचालय के नाम पर हुआ करोड़ों का घोटाला
यूपी के गाजीपुर जिले में खुले में शौच से मुक्त के दावे की हकीकत का एबीपी गंगा ने रिएलिटी चेक किया, तो ये बात सामने आई कि शौचालय के नाम पर करोड़ों का घोटाला हो रहा है। पूरा मामला जानने के लिए पढ़िए ये रिपोर्ट....
गाजीपुर, एबीपी गंगा। स्वच्छ भारत मिशन के तहत सरकार की ओर से करोड़ों रुपए की सौगात दी गई, लेकिन अब इस मिशन के नाम पर करोड़ों के घोटाले का मामला सामने आया है। उत्तर प्रदेश ही नहीं पूरे देश में स्वच्छ भारत मिशन के तहत सभी ग्राम सभाओं को करोड़ों रुपए की सौगात देकर शौचालय से परिपूर्ण कर पूरे प्रदेश को खुले में शौच से मुक्त करने का दावा तो किया गया, लेकिन उनके गांव में इस दावे की कितनी सच्चाई दिखती है। इसकी बानगी गाजीपुर के किसी भी ग्राम सभा में देखा जा सकता है। ऐसा ही एक गावं सदर ब्लॉक का अकरमपुर उर्फ बंजारीपुर है, जहां पर शौचालय और अन्य योजनाओं के नाम पर करोड़ों रुपए का गोलमाल कर दिया गया। वहीं, अब इसकी जांच के नाम पर विभाग लीपापोती करने में जुटा हुआ है।
शौचालय के नाम पर करोड़ों का घोटाला जनपद गाजीपुर के जिला पंचायत राज विभाग और मुख्य विकास अधिकारी के द्वारा ग्राम सभाओं में करोड़ों रुपया शौचालय के नाम पर दिया गया और उन शौचालयों का वेरिफिकेशन और मानक के अनुसार बने होने का दावा कर उसकी रिपोर्ट शासन को भेज कर जनपद ही नहीं प्रदेश को खुले में शौच से मुक्त भी करा दिया गया, लेकिन आज हम आपको जिला मुख्यालय से मात्र 10 किलोमीटर की दूरी पर बसे अकरमपुर उर्फ बंजारीपुर ग्राम सभा की दिशा के बारे में बताने जा रहे हैं।
खुले में शौच मुक्त के दावे झूठे!
यहां पर कुल 422 शौचालय बनने को आए थे, लेकिन मानक के अनुसार यहां शौचालय कितने हैं...ये उन तमाम दावों को खारिज करता है, जो खुले में शौच मुक्त की बात करते हैं। इनका उपयोग ग्रामीण शौच के बजाय अन्य कामों के लिए कर रहे हैं और शौच करने के लिए अभी भी खुले स्थानों का प्रयोग कर रहे हैं। इन्हीं सब बातों को लेकर गांव के ही शिकायतकर्ता राकेश सिंह फौजी विभाग में कई बार शिकायत दर्ज करा चुके हैं, लेकिन विभाग है कि उनके कानों पर जू तक नहीं रेंग रही।
गांव में 422 शौचालय बनने आए थे, लेकिन...
यहां तक कि जिला अधिकारी के द्वारा जांच कमेटी बनाए जाने के कई महीने बीत जाने के बाद भी जांच नहीं कराई गई। वहीं, जब दोबारा शिकायतकर्ता जिलाधिकारी से मिला, तो फिर जांच के आदेश दिए गए। जिसके बाद पिछले दिनों शौचालयों की जांच की गई। शिकायतकर्ता का दावा है कि पूरे गांव में 422 शौचालय बनने को आए थे, लेकिन मौजूदा समय में 100 शौचालय भी ऐसे नहीं है, जिसका कि लोग उपयोग कर सके। इसके साथ ही उनका आरोप है कि गांव के कई सार्वजनिक स्थान पर एक दबंग व्यक्ति के द्वारा कब्जा कर उसे निजी प्रयोग में लाया जा रहा है और प्रतिवर्ष उसकी मरम्मत और रंगाई पुताई के लिए बजट भी उतारा जा रहा है।
गांव के प्रधान ने शिकायतकर्ता पर लगाए आरोप
एक और जहां ग्रामीणों और शिकायतकर्ता के द्वारा ग्राम सभा ने गबन का आरोप लगाया जा रहा है, तो दूसरी ओर ग्राम प्रधान अपने को अनुसूचित जाति का बताते हुए शिकायतकर्ता पर ही धमकी देने और मारपीट का आरोप लगाकर गांव में विकास नहीं करने का और उसमें अड़चन पैदा करने का आरोप लगा रहा है।
जिलाधिकारी का बयान
वहीं, जब जिलाधिकारी के बालाजी से इस घोटाले के बारे में जानना चाहा (जिन्होंने जांच का आदेश दिया) तो वो ये कहने लगे कि उन्हें तो इस बारे में खुद मीडिया से पता चला। जिसके बाद वो बोले कि इसकी जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी।