बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना को दी जाने वाली सुरक्षा वापस ले ली जाए- स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद
Uttarakhand News: शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ बर्बता की घटना पर दुख जातते हुए केंद्र सरकार को कहा, बांग्लादेश की पू्र्व पीएम शेख हसीना की सुरक्षा हटा दी जाए.

Shankaracharya Avimukteshwaranand: : ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने रविवार शाम हरिद्वार में चंडी घाट पर गंगा पूजन कर उत्तराखंड की शीतकालीन चारधाम यात्रा की शुरुआत की है. शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि शीतकाल में भी चारोधामों के दर्शन उनके शीतकालीन गद्दी प्रवास स्थलों पर किए जा सकते हैं. उन्होंने देश दुनिया के लोगों से चारधाम यात्रा पर आने की अपील की.
हरिद्वार में पत्रकारों से बात करते हुए शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार को खास दुखद बताते हुए केंद्र सरकार को हिदायत दी है कि तुरंत बांग्लादेश की अपदस्थ हो चुकी प्रधानमंत्री शेख हसीना को दी जाने वाली सुरक्षा और सुविधा वापस ले ली जाएं. शंकराचार्य ने कहा कि बांग्लादेश के लोगों को लगता है कि भारत में शेख हसीना को शरण देकर वहां का विरोध किया है और इसीलिए वहां की जनता हिंदुओं पर अत्याचार कर रही है. लिहाजा केंद्र सरकार को शेख हसीना से देश के बाहर चले जाने के लिए कह देना चाहिए. शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने हरिद्वार में गंगा में हो रहे खनन पर भी चिंता जताई. उत्तराखंड के जौलीग्रांट एयरपोर्ट का नाम शंकराचार्य एयरपोर्ट करने के लिए उन्होंने एक बार फिर राज्य सरकार को नसीहत दी है. इस मौके पर वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच शंकाराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने गंगा पूजन किया और शीतकालीन चारधाम के लिए रवाना हुए.
पूजा-अर्चना शीतकालीन पूजा स्थलों में की जाती है- अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती
ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि उत्तराखंड स्थित चार धाम यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारेश्वर महादेव और भगवान बदरी विशाल के मंदिरों के कपाट स्थानीय भौगोलिक स्थितियों को देखते हुए केवल पूजा स्थलों में परिवर्तन होता है. उन्होंने कहा कि सदियों से चली आ रही पूजा अर्चना प्राचीन परंपरा के अनुसार शीतकालीन पूजा स्थलों में की जाती है.
उत्तराखंड राज्य सरकार शीतकालीन यात्रा को बढ़ावा दे रही है
शंकराचार्य जी ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि जन सामान्य में ऐसी धारणा बन गई कि चारों धामों के कपाट बंद होने के बाद शीतकाल में श्रद्धालु दर्शन लाभ नहीं ले सकते हैं. इसी धारणा को तोड़ने के लिए उनके द्वारा विगत वर्ष लगभग पांच शताब्दि बाद 'शीतकालीन चारधाम मंगल यात्रा' का आयोजन किया गया था. उन्होंने कहा कि अच्छी बात है कि उत्तराखंड राज्य सरकार ने भी शीतकालीन यात्रा को बढ़ावा देने के लिए प्रयास किए हैं .
शीतकाल में चारधाम के दर्शन से मिलता है अधिक पुण्य
उन्होंने कहा कि जो पुण्य लाभ यात्रियों को ग्रीष्मकाल में चार धामों के दर्शन से मिलता है, उससे अधिक लाभ शीतकालीन पूजा स्थलों में पूजा-अर्चना एवं दर्शन से श्रद्धालुओं को प्राप्त होता है. उन्होंने कहा कि सनातन धर्म के प्रचार प्रसार के लिए उनके द्वारा निरंतर कार्य किये जा रहे हैं. शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने बताया कि ज्योतिर्मठ में शंकराचार्य गुरुकुलम की शुरुआत हो गई है. इसके अलावा चमोली जनपद में एक अन्य गुरुकुलम को शुरू किया जा रहा है. आदि गुरु शंकराचार्य जी की तपस्थली ज्योतिर्मठ में स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को देखते हुए अस्पताल का भूमि पूजन कर दिया गया है. जन भावनाओं के अनुरूप जल्द वहां पर अत्याधुनिक सुविधापूर्ण अस्पताल कार्य शुरू होगा.
चंडी घाट पर हुआ यात्रा का शुभारंभ
चार धाम शीतकालीन दर्शन यात्रा का शुभारंभ चंडी घाट पर ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के पावन सानिध्य में मां गंगा की विधिवत पूजा अर्चना के साथ शुरू हुआ. इसके बाद काशी से आए आचार्यों द्वारा मां गंगा की दिव्य और भव्य आरती की गई. इस अवसर पर ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य जी ने यात्रा में आए सभी यात्रियों को चार धामों का माहात्म्य बताया और यात्रा की मंगल कामना की.
शंकराचार्य जी के पावन सानिध्य में 16 दिसंबर से प्रारंभ हो रही चार धाम शीतकालीन दर्शन यात्रा में देश के 10 से अधिक राज्यों के 150 से ज्यादा तीर्थ यात्री यात्रा दल में शामिल हैं. यात्रा प्रभारी ब्रह्मचारी मुकुंदानंद ने बताया कि गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, झारखंड, बिहार, दिल्ली, उत्तराखंड आदि राज्यों से 150 से ज्यादा महिला एवं पुरुष तीर्थ यात्री इस यात्रा में शामिल हैं. यात्रा 16 दिसंबर से प्रारंभ होकर के 22 दिसंबर को हरिद्वार में संपन्न होगी.
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