Swami Prasad Maurya on RSS: केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की गतिविधियों में सरकारी कर्मचारियों के भाग लेने पर लगे 58 साल पुराने 'प्रतिबंध' को हटा लिया है. जिसके बाद अब सरकारी कर्मचारी भी RSS की गतिविधियों में शामिल हो सकेंगे. सरकार के इस आदेश के बाद विपक्षी दल हमलावर है तो वहीं अब इस मुद्दे पर पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य का बयान सामने आया है. उन्होंने कोर्ट से स्वतः संज्ञान लेने की अपील की है. 


राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने सरकार के इस फैसले पर निशाना साधते हुए एक्स पर कहा- "केंद्र सरकार द्वारा अधिकारियों को आर.एस.एस. की शाखाओं में सम्मिलित होने की अनुमति देने का निर्णय संविधान व राष्ट्र विरोधी है, इससे अधिकारियों का संघीकरण होगा फल स्वरुप अधिकारियों के प्रत्येक निर्णय में संघ और भाजपा का प्रभाव होगा, क्योंकि संघ और भाजपा आपस में एक ही हैं."


आरएसएस को लेकर बोले स्वामी प्रसाद मौर्य
उन्होंने कहा कि, "यह नहीं भूलना चाहिए कि भाजपा का राष्ट्रीय संगठन मंत्री व सभी प्रदेशों के संगठन मंत्रियों तथा क्षेत्रीय/प्रांतीय अध्यक्षों की तैनाती की संस्तुति आर.एस.एस. ही करती है. भाजपा राष्ट्रीय संगठन मंत्री व प्रदेशों के संगठन मंत्रियों का पद अत्यंत महत्वपूर्ण है जो क्रमशः राष्ट्रीय अध्यक्ष व प्रदेशों के अध्यक्ष के समांतर होते हैं. आर.एस.एस. को सामाजिक संगठन कहना पूर्णत: बेईमानी है.



राजनीतिक पार्टी में संगठन मंत्री के रूप में सहभागिता स्पष्ट करती है कि आर.एस.एस. एक सेमी पॉलीटिकल पार्टी है. अतः माननीय सर्वोच्च न्यायालय से सादर अनुरोध है कि प्रकरण का स्वत संज्ञान लेते हुए संघ की शाखाओं में अधिकारियों के सम्मिलित होने के फैसले को जनहित में रोकने की कृपा करें. 


सरकार ने हटाया RSS पर लगा बैन
दरअसल केंद्र सरकार ने RSS की गतिविधियों में सरकारी कर्मचारियों के भाग लेने पर लगे 58 साल पुराने प्रतिबंध को हटा लिया है. केंद्र सरकार ने अपने आदेश में कहा कि है कि "उपर्युक्त निर्देशों की समीक्षा की गई है और यह फैसला लिया गया है कि 30 नवंबर 1966, 25 जुलाई 1970 और 28 अक्टूबर 1980 के संबंधित कार्यालय ज्ञापनों से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का उल्लेख हटा दिया जाए."


केंद्र सरकार के इस फैसले का विपक्षी दलों द्वारा तीखा विरोध देखने को मिल रहा है. कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने इसे लेकर सवाल उठाए हैं और कहा कि इससे लोगों के बीच खाई बढ़ेगी.


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