UP News: सपा प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने पार्टी दफ्तर में भगवान शालिग्राम (Shaligram Bhagwan) की पूजा अर्चना की. इस पर पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी टिप्पणी की. अक्सर विवादों में रहने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) ने कहा कि आराध्य के प्रति पूजा-अर्चना निजी मामला है. हर धर्म का अनुयायी भगवान की पूजा पाठ के लिए स्वतंत्र है. उसके खिलाफ टिप्पणी करना उचित नहीं है. उन्होंने कहा कि लोगों के व्यक्तिगत मामले को सामाजिक सरोकार से नहीं जोड़ना चाहिए. रामलला का दर्शन करने अयोध्या नहीं जाने पर भी स्वामी प्रसाद मौर्य ने सफाई दी. उन्होंने कहा कि दर्शन पूजन श्रद्धा से जुड़ा मामला है. पूजा के नाम पर दिखावा, छलावा और नाटक करना ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि भगवान राम करोड़ों लोगों के आराध्य हैं. रामलला का दर्शन करने के लिए किसी की अनुमति की आवश्यकता नहीं है.


अखिलेश यादव ने की भगवान शालिग्राम की पूजा


स्वामी ने कहा कि सरकार के कहने पर मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा या गिरिजाघर में जानेवाला श्रद्धा भाव से नहीं जाता है. आदेश का पालन करने के लिए दर्शन पूजन को जानेवाले का आराध्य से लेनादेना नहीं है. ऐसा शख्स राजनीतिक लाभ लेने और दिखावा करने के लिए दर्शन पूजन करने जाता है. अखिलेश यादव के राम मंदिर नहीं जाने पर बीजेपी ने सवाल उठाए थे. बीजेपी का कहना था कि वर्ग विशेष को खुश करने के लिए अखिलेश यादव ने अयोध्या धाम जाने से दूरी बनाई.



क्या बोले विवादों में रहनेवाले स्वामी प्रसाद मौर्य?


स्वामी प्रसाद मौर्य ने अखिलेश यादव का बचाव करते हुए कहा कि बीजेपी के कार्यक्रम में किसी को आने जाने की आवश्यकता नहीं है. सपा विधायकों के राम मंदिर दर्शन करने जाने पर उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत तौर से परहेज नहीं है. बीजेपी पर निशाना साधते हुए स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि अयोध्या में भगवान राम की पूजा बहुत पहले से हो रही है. उन्होंने रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के औचित्य पर एक बार फिर सवाल उठाए.


उन्होंने कहा कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा धार्मिक अनुष्ठान नहीं था. अगर धार्मिक अनुष्ठान होता तो फिर चारों शंकराचार्यों में से कोई भी एक क्यों नहीं शामिल हुए. राम मंदिर उद्घाटन के कर्ताधर्ता, बीजेपी, विश्व हिंदू परिषद और आरएसएस से जुड़े लोग थे. अखिलेश यादव भगवान शालिग्राम की मजबूरी में पूजा करने के सवाल का जवाब देने से स्वामी प्रसाद मौर्य बचते नजर आए. भगवान शालिग्राम की पूजा में बुलाए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि भावना हमारी है. हम किसी के आदेश से पूजा नहीं करते हैं. उन्होंने साफ किया कहा कि हमें पूजा के लिए किसी की अनुमति की आवश्यकता नहीं है.


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