Ramcharitmanas Row: रामचरितमानस पर विवादित बयान देकर सुर्खियों में रहे सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) अब भगवान राम के चरित्र का बखान करते नज़र आ रहे हैं. एबीपी गंगा से बात करते स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि राम ने तो खुद शबरी के बेर खाए थे, जंगली जातियों को साथ लेकर लड़ाइयां लड़ी थी. राम (Lord Ram) का आदर्श तो कुछ और था, तुलसीदास (Tulsidas) ने रामायण (Ramayana) में कुछ और लिख दिया. राम के चरित्र के विपरीत लिख दिया. जहां राम सबको सम्मान देते थे, वहीं तुलसीदास अपमान की बात कर रहे हैं. राम और तुलसीदास के लिखने-पढ़ने में बहुत अंतर है.
हाल ही में सपा विधायक राकेश प्रताप सिंह ने सार्वजनिक मंच से बिना नाम लिए स्वामी प्रसाद मौर्य पर हमला बोलते हुए कहा था कि राजनीति रहे न रहे, विधायक रहूं न रहूं, आगे टिकट रहे न रहे, लेकिन धर्म को बचाने के लिए खड़ा रहूंगा. उन्होंने कहा कि मौर्य जैसी बातें कर रहे हैं वो विक्षिप्त प्राणी ही कर सकता है. इस पर स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि उन्होंने बिल्कुल सही कहा क्योंकि राम और रामचरितमानस का तो हमने विरोध किया ही नहीं, मैंने तो कुछ चौपाइयों जिसमें महिलाओं, आदिवासियों, पिछड़ों, दलितों का अपमान होता है उसे संशोधित करने को कहा है.
मौर्य ने फिर दोहराई अपनी मांग
वाराणसी में स्वामी प्रसाद मौर्य ने खुद पर स्याही फेंकने की कोशिश पर कहा कि जो लोग आज इस देश की महिलाओं, आदिवासी, पिछड़ों, दलितों को अपमानित करना अपना धर्म समझते हैं वो बौखलाए हुए हैं. वो इस परंपरा को आगे ले जाना चाहते हैं. रामचरितमानस पढ़ने से कौन रोक रहा है? बिल्कुल पढ़िए, लेकिन उसकी कुछ चौपाइयां है जिन पर आपत्ति है उन्हें बाहर करने की बात की है.
लखनऊ के नाम को लेकर कही ये बात
मौर्य से जब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा लखनऊ को भगवान लक्ष्मण से जोड़ने पर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि लखनऊ राजा लखन पासी की राजधानी थी. उन्हीं के नाम पर यह लखनपुर था जो बाद में लखनऊ हुआ. लखनऊ नाम तो वैसे ही पूरी दुनिया में चर्चित है, उसे बदलने की कोई आवश्यकता नहीं है. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई का ये संसदीय क्षेत्र रहा है. उन्होंने अपने कई भाषणों में कहा कि लखनऊ गंगा जमुनी तहजीब का केंद्र है.
योगी सरकार के विमुक्त जातियों का सर्वे कराने पर स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि हम कहते हैं सर्वे सबका क्यों नहीं कराते? जाति आधारित जनगणना करा लें सबका हो जाएगा. सिर्फ एक-दो का सर्वे क्यों? पिछड़ी जातियों के साथ सभी की जाति जनगणना करा लें. भाजपा सरकार जब से आई है वोट लेने के लिए आदिवासियों, दलितों को हिंदू कहती है. सत्ता में आने के बाद इनके आरक्षण का खात्मा कर देती है, इनका हक मार जाती है. इनकी आरक्षित जगहों पर अपने चहेतों को बैठा देती है. अगर इनकी मंशा साफ होती तो अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति और पिछड़ों के आरक्षण पर डकैती नहीं पड़ती.