शामली, एबीपी गंगा। देश में लगातार कोरोना वायरस के मामले बढ़ते जा रहे हैं। निजामुद्दीन मामले ने शासन और प्रशासन दोनों की टेंशन और बढ़ा दी है। इस कार्यक्रम में देश के अलग-अलग हिस्सों से लेकर दुनिया के कई देशों के लोग शामिल हुए थे। इसमें मलेशिया और इंडोनेशिया से भी लोग आए थे।
अब मामला सामने आने के बाद केंद्र और राज्य सरकार जमात में शामिल लोगों की तलाश में जुट गई है। शामली में भी 57 लोग ऐसे हैं जो जमात में आए थे। इन सभी की स्कैनिंग कर क्वॉरेंटाइन किया जा रहा है। मरकज का मास्टरमाइंड मौलाना शामली के कांधला कस्बे के रहने वाला है।
आपको बता दें कि तब्लीगी जमात की शुरुआत शामली के कस्बा कांधला से हुई थी। बताया जाता है कि तब्लीगी जमात की शुरुआत मरकज के मौलाना मोहम्मद शाद के पिता इलियास कांधलावी ने साल 1906 में कांधला से की थी जो कि शुरुआती दौर में कांधला में ही रहकर अपने धर्म के लोगों को एकत्रित कर धर्म का प्रचार किया करते थे।
इसके बाद वह साल 1926-27 में दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन पहुंचे, जहां पर उन्होंने मरकज वाली मस्जिद का निर्माण कराया और उसके बाद वहां पर मुस्लिम समुदाय के लोगों को एकत्रित कर उन्हें समाज के बारे में जागरूक करने लगे और समय-समय पर वह देश के अन्य हिस्सों में भी मुस्लिम धर्म का प्रचार करने के लिए जाने लगे।
धीरे-धीरे उनके साथ लोग जुड़ते गए और वह अपने धर्म का प्रचार लगातार करते चले गए। कांधला के बाद भारत के तमाम हिस्सों में वह अपने धर्म का प्रचार किया करते थे और देश के बाद उन्होंने विदेशों का भी रुख किया और कई देशों में वह तब्लीगी जमात को बढ़ावा देने लगे और उन्होंने तब्लीगी जमात से लोगों को जोड़ना शुरु कर दिया।
आज देश के साथ-साथ विदेशों में भी तब्लीगी जमात में लोग शामिल होते हैं। मौलाना इलियास कांधलावी के इंतकाल के बाद प्रचार प्रसार और तब्लीगी जमात को बढ़ावा देने का जिम्मा उनके पुत्र मोहम्मद इरशाद ने उठाया और मरकज वाली मस्जिद में रहते हुए वह अपने धर्म के प्रचार-प्रसार में जुट गए। मरकज के मौलाना शाद महीने 2 महीने में कांधला आते थे और अपने फॉर्म हाउस पर रुका करते थे। कांधला में रहने के दौरान वह किसी से मिलना-जुलना ज्यादा पसंद नहीं करते थे और कांधला में भी वह कई तबलीगी जमात कर चुके हैं।
मौलाना शाद के समधी मौलाना बदरुल हसन ने बताया कि तब्लीकि जमात की शुरआत कांधला से ही हुई थी और वह भी सन 1982 से 1990 तक वहां पर रहे हैं। मौलाना ने शाद पर लगे आरोपों के बारे में कहा कि गलती वहां के प्रशासन की है, पुलिस की है। मौलाना ने कहा कि यह एक ऐसी जमात है जो लोगों को गलत कामों को न करने बात बताती है।
हजरत निजामुद्दीन का मामला सामने आने के बाद उत्तर प्रदेश में भी सर्च ऑपरेशन किया जा रहा है। शामली प्रशासन ने कुल 18 जमातों को चिन्हित किया है जो कि बाहर से शामली में आई हुई हैं और जिनमें कि 57 लोगों को चिन्हित किया गया है। इन लोगों की स्कैनिंग कराई गई है और उनके सैंपल लेकर जांच के लिए भी भेजे गए हैं। साथ ही जमात में आए लोगों को क्वॉरेंटाइन कर दिया गया है और जहां पर यह लोग रुके हुए हैं वहां पर क्वॉरेंटाइन का नोटिस भी चस्पा कर दिया गया है।