B.Ed vs BTC Row: सुप्रीम कोर्ट के फैसले से शिक्षक भर्ती की तैयारी कर रहे बीएड डिग्री धारक अभ्यर्थियों में जबरदस्त रोष है. प्राइमरी स्कूलों में शिक्षक भर्ती की रेस से बाहर होने के बाद बीएड डिग्री धारक आंदोलनरत हैं. प्रयागराज में आज शिक्षक दिवस पर बीएड डिग्री धारकों ने महापंचायत लगाई. महापंचायत में सैकड़ों बीएड डिग्री धारक शामिल हुए. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले से असहमति जताते हुए सरकार से दखल देने की गुहार लगाई. बीएड डिग्री धारकों को शिक्षक दिवस के दिन रोजगार और इंसाफ की मांग के लिए सड़कों पर उतरना पड़ा. उन्होंने कहा कि देश में एक तरफ शिक्षक दिवस मनाया जा रहा है. सर्वपल्ली राधाकृष्णन समेत तमाम गुरुओं को नमन किया जा रहा है.
बीएड डिग्री धारकों ने बुलाई महापंचायत
समाज में शिक्षा के क्षेत्र में किए योगदान को याद ताजा कर रहा है. दूसरी तरफ शिक्षक बनने की योग्यता रखने वाले बीएड डिग्री धारकों को हक की लड़ाई के लिए सिस्टम से जूझना पड़ रहा है. बीएड धारकों ने केंद्र सरकार से अध्यादेश लाकर राहत देने की मांग की. उन्होंने कहा कि सरकार की दखलअंदाजी से बीएड डिग्री धारकों को रोजगार मिलने के साथ देशभर में खाली पड़े शिक्षकों के पद भी भर जाएंगे. शिक्षा का स्तर सुधरेगा और बच्चों को क्वालिटी एजुकेशन मिल सकेगी.
राइट टू एजुकेशन की कल्पना भी सही मायने में साकार होगी. अभ्यर्थियों की महापंचायत को पूर्व आईजी अमिताभ ठाकुर का साथ मिला. महापंचायत में शामिल बीएड डिग्री धारक यूपी के अलग-अलग हिस्सों से आए हुए थे. उन्होंने हाथों में नारे लिखी तख्तियां लेकर प्रदर्शन किया. बालसन चौराहे पर दीनदयाल उपाध्याय पार्क में महापंचायत को देखते हुए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे. भारी भीड़ जुटने के बावजूद पुलिस प्रशासन ने प्रदर्शनकारी बीएड डिग्री धारकों को समझा बुझाकर वापस भेज दिया.
बीएड बनाम BTC डिग्री का जानें विवाद
गौरतलब है कि बीएड और बीटीसी डिग्री धारकों के बीच का विवाद पिछले काफी दिनों से चल रहा है. 28 जून 2018 को नेशनल काउंसिल ऑफ टीचर्स एजुकेशन (NCTE) ने नोटिफिकेशन जारी कर कहा था कि बीएड डिग्री धारक भी छह महीने का ब्रिज कोर्स कर प्राइमरी स्कूलों में टीचर्स बन सकते हैं. बीटीसी डिग्री धारकों ने एनसीटीई के फैसले का विरोध शुरू कर दिया. दलील दी कि सरकारी शिक्षक बनने की संभावना कम हो जाएगी. उन्होंने कहा कि बीटीसी की तुलना में करीब तीन गुना छात्र B.Ed कोर्स करते हैं. इस बीच अलग-अलग हाईकोर्ट का कई फैसला आया.
मामला बाद में सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा. सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त 2023 को फैसले में कहा कि कक्षा 1 से 5 तक के स्कूलों में बीएड डिग्री धारक शिक्षक नहीं बन सकते. प्राइमरी स्कूलों में सिर्फ बीटीसी वाले ही शिक्षक बन सकेंगे. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से लाखों बीएड डिग्री धारक ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. उनका कहना है कि सरकार की दिशा निर्देश के मुताबिक बीएड की डिग्री ली थी. कक्षा 1 से 5 तक के स्कूलों में ज्यादा टीचर्स की भर्ती होती है. ऐसे में प्राइमरी स्कूलों से बाहर का रास्ता दिखाने पर रोजगार पाने की संभावना काफी कम हो जाएगी.
सरकार से दखल देने की लगाई गुहार
बीएड डिग्री धारक चाहते हैं कि एनसीटीई सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका यानी रिव्यू पिटीशन फाइल करे. बीएड डिग्री धारकों ने केंद्र सरकार से भी मामले में अध्यादेश जारी करने की मांग की है. उनका कहना है कि कम से कम अस्थायी राहत दिलाने की सरकार को पहल करनी चाहिए. बीएड की डिग्री लेकर अलग-अलग राज्यों में शिक्षक बनने का सपना पाले अभ्यर्थियों को सिस्टम से बाहर नहीं किया जाए. एक अनुमान के मुताबिक देश में बीएड डिग्री धारकों की संख्या एक करोड़ से ज्यादा है. अकेले उत्तर प्रदेश और बिहार में बीएड डिग्री धारको 35 लाख के करीब हैं.
कुछ लोग दावा करते हैं कि बीएड डिग्री धारक 2 करोड़ से ज्यादा हैं. संसद में पेश रिकॉर्ड के मुताबिक साल 2022-23 के शिक्षा सत्र में उत्तर प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों में शिक्षकों के 579622 पद स्वीकृत थे. 453594 पदों पर भर्ती होने के बाद 126028 पद खाली रह गए थे. बिहार में 592541 में से 187209 पद खाली थे. मध्य प्रदेश में 363099 पदों में से 69667, छत्तीसगढ़ में 221067 में से 38692, झारखंड में 186865 में से 74 357, उत्तराखंड में 46053 में से 10933, राजस्थान में 299387 में से 25396 पद खाली थे.
बीएड डिग्री धारकों ने चेतावनी दी है कि सरकार से राहत नहीं मिलने पर आंदोलन को और तेज किया जाएगा. लोकसभा चुनाव में भी बड़ा फैसला लेने को मजबूर होंगे. मौजूदा समय में सरकारी भर्ती लगातार घटती जा रही है. कई बार भर्ती का मामला कोर्ट में चला जाता है. दूसरे विवाद सामने आने पर भी भर्ती अटक जाती है. खामियाजा बेरोजगार युवाओं को भुगतना पड़ता है. वर्षों पढ़ाई और ट्रेनिंग करने के बावजूद युवा बेरोजगार रह जाते हैं. डिग्री धारकक सिस्टम में सुधार की मांग कर रहे हैं.