लखनऊ, शैलेष अरोड़ा। बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षक अब राज्य पुरस्कार के लिए खुद भी आवेदन कर सकेंगे। इसके लिए वो किसी अधिकारी के मोहताज नहीं होंगे। यह व्यवस्था राज्य पुरस्कार के लिए होने वाले शिक्षकों के चयन में अधिकारियों की मनमानी खत्म करने के लिए की जा रही है।


एबीपी गंगा ने उठाया था मुद्दा


एबीपी गंगा ने यह मुद्दा उठाया था की प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग में साढ़े चार लाख से अधिक शिक्षक हैं। बावजूद इसके विभाग को राज्य पुरस्कार से सम्मानित करने के लिए 75 शिक्षक तक पुरे नहीं मिले। इसके बाद एबीपी गंगा से बातचीत में बेसिक शिक्षा मंत्री डॉ. सतीश द्विवेदी ने नयी व्यवस्था लागू करने की जानकारी दी।


इस बार 26 जिलों से एक भी शिक्षक को नहीं मिला पुरस्कार
बेसिक शिक्षा विभाग ने इस साल से यह व्यवस्था लागू की है की अब हर जिले से 1 शिक्षक को राज्य पुरस्कार दिया जायेगा। सभी जिलों से इसके लिए शिक्षकों के नाम भी मांगे गए। लेकिन इतनी मशक्कत के बाद सिर्फ 49 शिक्षक ही मिले जिनका मुख्यमंत्री ने सम्मान किया। 26 जिलों से एक भी शिक्षक का नाम राज्य पुरस्कार के योग्य नहीं मिला। इस मामले में बेसिक शिक्षा मंत्री ने बताया की कई BSA ने अपने जिले से सिर्फ 1 या 2 शिक्षकों का नाम भेजा था। जिससे उनके चयन पर सवाल उठे।


बचे जिलों के शिक्षकों का सम्मान दूसरे चरण में
बेसिक शिक्षा मंत्री डॉ. सतीश द्विवेदी ने कहा की अगर किसी शिक्षक को लगता है की वो राज्य पुरस्कार के योग्य है तो खुद आवेदन कर पायेगा। इससे पुरस्कार को लेकर पारदर्शिता और बढ़ेगी। इतना ही नहीं पहले चरण में जिन 26 जिले के शिक्षक छूटे उनका चयन कर दूसरे चरण में राज्य पुरस्कार दिया जायेगा।