कानपुर: कानपुर के सरकारी अस्पताल में रेमडेसिविर इंजेक्शन के नाम पर बड़ा फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ था. अब इस मामले में कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल ने बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि, पूरे मामले की जांच के लिये एक टीम का गठन किया गया है. प्रिंसिपल डॉक्टर आरबी कमल ने बताया कि, हमने इंजेक्शन का डाटा एकत्र करने के लिये  कहा है. बता दें कि, कोरोना की दूसरी लहर के दौरान सरकारी अस्पताल में शवों के नाम इंजेक्शन जारी किये और बड़ा घालमेल किया गया.


ये था पूरा घोटाला


सामने आए गड़बड़झाला के मुताबिक, कानपुर के हैलट अस्पताल में रेमडेसिविर इंजेक्शन को लेकर यहां बड़ा खेल हुआ है. आरोप है कि हैलट में नर्सिंग स्टाफ ने मरीज की मौत के बाद स्टोर से इंजेक्शन इशु करवाए. रेमडेसिविर इंजेक्शन को मृतकों के नाम पर जारी करवारकर उन्हें बाजार में महंगे दाम पर बेचे जाने की आशंका जताई जा रही है.


मृत मरीजों के नाम पर निकाले इंजेक्शन


दरअसल, कोरोना की दूसरी लहर के दौरान मरीजों को रेमडेसिविर इंजेक्शन की जरूरत थी. मरीजों को बाजार में आसानी से रेमडेसिविर इंजेक्शन नहीं मिल पा रहे थे. अब खुलासा हुआ है कि शासन की तरफ से हैलट को मरीजों के लिए जो रेमडेसिविर इंजेक्शन भेजे गए थे उनमें बड़ा घालमेल हुआ है. तीन-चार दिन पहले मृत हो चुके लोगों के इलाज के नाम पर स्टाफ ने इंजेक्शन जारी करवा लिये गए. फर्जीवाड़ा कितना बड़ा है अभी इसका पता नहीं चल सका है. हालांकि रिपोर्ट के मुताबिक, कम से कम चार मरीजों के नाम पर रेमडेसिविर इंजेक्शन जारी करवाए गए.


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