Uttarakhand News: टिहरी डैम से बाढ़ की आशंका पर टिहरी बांध परियोजना के अधिशासी निदेशक एलपी जोशी ने सफाई दी है. उन्होंने मैदानी क्षेत्रों के लोगों आश्वस्त किया है कि टिहरी डैम से घबराने की जरूरत नहीं. जान माल की हानि से सुरक्षा के लिए मैदानी क्षेत्रों में बाढ़ का पानी आने नहीं दिया जाता है. उन्होंने टिहरी डैम से देवप्रयाग, ऋषिकेश, हरिद्वार तक खतरे को खारिज कर दिया. ऊपरी इलाके से बाढ़ के पानी को टिहरी डैम में रोक लिया जाता है. उन्होंने बताया कि आजकल टिहरी झील का लेवल 811 आरएल मीटर है.


मैदानी इलाकों में क्या टिहरी डैम से लोगों को है खतरा?


टिहरी बांध की झील से चारों टरबाइन  चलाई जा रही है. बांध से 2400 मेगावाट बिजली का उत्पादन प्रतिदिन नॉर्दन ग्रिड को सप्लाई किया जा रहा है. उत्तराखंड सरकार की तरफ से टिहरी झील का अनुमति जलस्तर 830 आरएल मीटर है. इस बार टिहरी झील का लेवल 830 आरएल मीटर तक भरा जाएगा. टिहरी डैम आपदा, भूकंप, डिजायन और फ्लड क्षमता के अनुरूप पूरी तरह से सुरक्षित है. किसी भी शंका की गुंजाइश नहीं है. टिहरी बांध की सुरक्षा पर लोग शक नहीं करें.


टिहरी बांध सुरक्षा और सेफ्टी के अंतराष्ट्रीय मानकों से आच्छादित है. अधिशासी निदेशक जोशी ने बताया कि टिहरी डैम की सुरक्षा में निर्माण से पहले मास्को की अंतराष्ट्रीय संस्था एचपीआई और आईआईटी रूड़की की संयुक्त टीम से रिसर्च करवाकर कर मानकों को अपनाया गया है. टिहरी बांध रॉकफिल बांध है जिसमें पूरी एडजस्टेबल क्षमता है. टिहरी बांध की क्षमता 8 रिएक्टर के भूकंप को झेलने की है, जबकि अभी तक दुनिया में मात्र 7 रिएक्टर का ही भूकंप आया है.


टिहरी बांध परियोजना के अधिशासी निदेशक की सफाई


विशेषज्ञों ने रिसर्च में टिहरी बांध को पूरी तरह सुरक्षित बताया है. टिहरी बांध का रिजर्व वायर इतना विशाल है कि 7500 क्यूमैक्स पानी की क्षमता को वर्ष 1999 में आये फ्लड में झेल चुका है, जबकि इस बांध की क्षमता 15 हजार क्यूमैक्स वाटर को झेलने की है. बांध की सुरक्षा और सेफ्टी के लिए 350 से अधिक अत्याधुनिक उपकरणों का प्रयोग किया जाता है. अभी तक की रिपोर्ट पूरी तरह से फिट है. इसलिए किसी भी तरह की काल्पनिक शंका को टिहरी बांध की सुरक्षा और सेफ्टी से जोड़ना ठीक नहीं है.


टीएचडीसी का दावा है कि टिहरी बांध पूरी तरह से सुरक्षित और फिट है और आपदा में मैदानी क्षेत्रों को सुरक्षा प्रदान करता है. एल पी जोशी ने बताया कि टिहरी डैम की सुरक्षा से जुड़ी फैलाई जा रही सभी जानकारी भ्रामक है. वर्ष 1990 में जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के वरिष्ठ जियोलॉजिस्ट और सिस्मोलॉजिस्ट ने भी टिहरी डैम के सर्वे में पाया है कि रिएक्टर स्केल 8 की तीव्रता वाला भूकंप को सहने की क्षमता है. उन्होंने बताया कि मैदानी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को डैम से किसी प्रकार का कोई खतरा नहीं है.


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