Tehri News: टिहरी जिले के गांवों को जोड़ने का सपना होगा पूरा,पीएमजीएसवाई के तहत सड़कों का होगा निर्माण
Uttarakhand News: टिहरी जिले के कई गांव आजादी के बाद भी सड़क संपर्क से वंचित हैं. प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के तहत इन गांवों को सड़कों से जोड़ने की कवायद तेज हो गई है.
Tehri Road News: टिहरी जिले के कई गांव आजादी के बाद भी सड़क संपर्क से वंचित हैं. ऐसे में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के तहत इन गांवों को सड़कों से जोड़ने की कवायद तेज हो गई है. योजना के तहत कीर्तिनगर और देवप्रयाग ब्लॉक के 28 गांवों को चिन्हित किया गया है, जो अब सड़क मार्ग से जुड़ने के करीब हैं.
देवप्रयाग और कीर्ति नगर के 28 गांवों को अब तक इस योजना में शामिल किया गया है. इनमें से अधिकांश गांव आज भी तीन से चार किलोमीटर की पैदल दूरी पर स्थित हैं. भले ही इनकी ग्राम पंचायतें सड़कों से जुड़ी हुई हैं, लेकिन इनके अंतर्गत आने वाले तोक (छोटे बस्तियां) सड़क मार्ग से वंचित हैं. लोस्तु बड़ियारगढ़ क्षेत्र के नौडा, धोलियाणा, हलपड़ा, और कुमेरू जैसे गांवों में आज तक सड़क नहीं पहुंच पाई है.
पीएमजीएसवाई फेज-4 का कार्यान्वयन
कीर्तिनगर खंड के अधिशासी अभियंता शिवम रावत ने जानकारी दी कि पीएमजीएसवाई का चौथा चरण (फेज-4) इन गांवों तक सड़क पहुंचाने के लिए शुरू किया गया है. इस योजना में ऐसे गांव शामिल किए गए हैं, जिनकी जनसंख्या 250 से अधिक है. जिन गांवों की जनसंख्या 250 से कम है, लेकिन अगर 2-3 तोक मिलकर 250 की संख्या पूरी करते हैं, तो उन्हें भी योजना में जोड़ा जाएगा.
ग्रामीणों को मिलने वाले लाभ
योजना के तहत सड़क संपर्क बढ़ने से ग्रामीणों के जीवन स्तर में सुधार होगा. ग्रामीणों को अब बाजारों, स्कूलों, और स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंचने में सहूलियत होगी. किसानों को अपनी फसलें और उत्पाद आसानी से बाजार तक ले जाने का अवसर मिलेगा.गांवों के शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार की उम्मीद बढ़ेगी.
ग्रामीणों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद
पीएमजीएसवाई के तहत इस प्रयास से ग्रामीणों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है. हालांकि, पहाड़ी इलाकों की भौगोलिक चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए समयबद्ध तरीके से काम पूरा करना बड़ी जिम्मेदारी है.यह योजना उन क्षेत्रों के विकास में मील का पत्थर साबित होगी, जो अब तक विकास की मुख्यधारा से वंचित रहे हैं. केंद्र और राज्य सरकार का यह कदम ग्रामीण उत्तराखंड को सशक्त बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण है.
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