नई दिल्ली, एबीपी गंगा। अयोध्या में मंदिर निर्माण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुना दिया है। पांच जजों की बेंच की अगुवाई कर रहे जस्टिस रंजन गोगोई ने फैसला पढ़ते हुये विवादित जमीन रामलला को दी। साथ ही उन्हें कानूनी मान्यता दे दी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले की बड़ी बातें इस तरह रहीं।
1-मुस्लिम पक्ष ये सिद्ध नहीं कर पाया कि उसके पास मालिकाना हक का एक्सक्लूसिव राइट था। 1856 तक कोई विवाद नहीं हुआ, 1856-57 में रेलिंग सेटअप होने के बाद दोनों पक्षों में तनाव बढ़ा। आखिरी नमाज दिसंबर 1949 में हुई।
2-सीजेआई ने कहा कि हिंदू भी अंदरुनी हिस्से में पूजा करते थे। अंदरुनी हिस्से में नमाज बंद होने के कोई सबूत नहीं है। अंग्रेजों के आने से पहले हिंदू अंदरुनी हिस्से में पूजा करते थे। अंग्रेजों ने दोनों हिस्सों को अलग करने के लिए रेलिंग बनाई थी।
3-हिंदू अयोध्या को राम का जन्मस्थान मानते हैं। हिंदू मुख्य गुबंद को ही राम का स्थान मानते हैं।
4-अयोध्या में राम के जन्म के दावे का विरोध नहीं। हिंदू दावा झूठा साबित नहीं हुआ। विवादित जगह पर हिंदू पूजा करते रहे हैं। रामलला ने ऐतिहासिक ग्रंथों के विवरण रखें। सीजेआई फैसला पढ़ रहे हैं।
5-बाबरी मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनी थी। रामलला को कानूनी मान्यता दी। खुदाई की सबूतों की अनदेखी नहीं की जा सकती है। ASI की रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट मान रहा है। ASI ने 12वीं सदी का मंदिर बताया था। सीजेआई फैसला पढ़ रहे हैं।
6-केंद्र सरकार, राज्य सरकार से सलाह कर सुन्नी वक्फ बोर्ड को 5 एकड़ जमीन दी जाए। तीन महीने में ट्रस्ट बनाकर इसकी प्रक्रिया शुरू करें।
7-केंद्र सरकार मंदिर निर्माण के लिये 3 महीने में विवादित क्षेत्र के लिए एक ट्रस्ट बनाये। ट्रस्ट मंदिर का निर्माण व प्रबंधन और विकास देखेगा।
8-बैलेंस कायम करने के लिए सरकार मुस्लिमों को मस्जिद बनाने के लिए अन्य जगह पर जमीन दें।
9-1949 में दो मूर्तियां रखी गयीं, खुदाई में मिला ढांचा गैर इस्लामिक था।
10-कोर्ट के लिए ये सही नहीं है कि वो धर्मशास्त्र पर विचार करे।