राष्ट्रपति के हाथों तेनज़िंग नोर्गे अवार्ड से पिछले दिनों नवाजी गई पर्वतारोही शीतल राज को रन टू लिव संस्था ने नैनीताल में सम्मानित किया. शीतल ने कहा कि हिमालय क्षेत्र में रहने वाले लोग तो चप्पलों में किसी भी चोटी पर चले जाते हैं, अगर उन्हें सिखाया जाए तो वो दुनिया की हर चोटी नाप देंगे. उन्होंने सरकार से पर्वतारोहन को मुख्य धारा का साहसिक खेल बनाने को कहा है.
नैनीताल के बोट हाउस क्लब सभागार में आयोजित सम्मान समारोह में पर्वतारोही शीतल राज को सम्मानित किया गया. कंचनजंगा और अन्नपूर्णा पीक में सबसे कम उम्र की पर्वतारोही बनने वाली शीतल ने अपने जीवन की कहानी को साझा किया. शीतल ने अपनी आत्मकथा बताते हुए अपनी कठिन संघर्षों की कहानी सुनाई. उन्होंने बताया कि उच्च स्तरीय पर्वतारोहण का सपना लेकर उन्होंने सबसे पहले सतोपंथ पहाड़ी क्लाइंब करने में पांचवा स्थान प्राप्त किया, जिसके बाद उन्हें कंचनजंगा के लिए भेजा गया. उपकरणों की कमी से जूझ रही शीतल को ओ.एन.जी.सी.ने उपकरण उपलब्ध कराए.
22-23 घंटो में पूरा होने वाले पर्वत को 8-9 घंटे में किया पूरा
शीतर ने पर्वतारोहन के दौरान अपनी फिटनेस को बहुत अच्छा रखा, इसलिए उन्होंने 22 से 23 घंटे में पूरा होने वाले पर्वत को 8 से 9 घंटे में पूरा कर दिया. कंचनजंगा और अन्नपूर्णा फतह करके वो वापस लौटी तो उन्हें पता चला कि वो विश्व की सबसे कम उम्र की पर्वतारोही बन गई हैं. उन्हें इसके बाद लोबसे पर्वत क्लाइंब करने के लिए प्रस्ताव आया, लेकिन उन्हें तो एवेरेस्ट में जाना था. आखिरकार उन्हें एवेरेस्ट पर चढ़ने का मौका मिल ही गया. शीतल कई मुश्किलों को पार करते हुए एवेरेस्ट के समिट में पहुंची.
एवेरेस्ट पर लहराया भारतीय झंडा
'क्लाइम्बिंग बियॉन्ड दा समिट' की सिखाई बातों को ध्यान में रखकर शीतल ने एवेरेस्ट पर्वत श्रृंखला में एक बार फिर भारतीय झण्डे को लहराया. शीतल ने अपने घर के हालातों को बताते हुए कहा कि उनकी माँ एक गृहणी हैं और पापा टैक्सी चालक थे, जिन्होंने अब वो भी छोड़ दिया है. शीतल ने कहा कि पहाड़ों में मुझसे बहुत स्ट्रांग लडकिया हैं. उन्होंने ऐसी ही लड़कियों के लिए आल वीमेन एक्सपीडिशन तैयार किया है. उन्होंने कहा कि कुमाऊं हिल्स में पर्यटक ट्रेकिंग के लिए आते हैं जबकि अगर वो एक्सपीडिशन के लिए आएं तो ये खेल अच्छा परिणाम देगा.
उत्तराखंड सरकार की 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' योजना की ब्रेंड अंबेसीडर शीतल ने कहा कि हिमालय से जुड़े पहाड़ों के लोगों को अगर पर्वत चढ़ने की तकनीक सिखाई जाए तो वो दुनिया के हर पर्वत को आसानी से चढ़ सकते हैं. शीतल ने सरकार से कहा है कि पर्वतारोहण को भी अन्य खेलों की तरह ही मुख्य धारा में रखा जाए तांकि इसे भी बढ़ाया जा सके.
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