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यूपी निकाय चुनाव के नतीजे बीजेपी ऊपर से खुश, लेकिन हकीकत में बहुत बड़ा झटका?

यूपी में निकाय चुनाव के नतीजों ने बीजेपी की चिंता बढ़ा दी है. रिजल्ट ने ये साफ कर दिया है कि बीजेपी कई सांसदों की नैया लोकसभा चुनाव में फंस सकती है.

उत्तर प्रदेश के निकाय चुनाव में बीजेपी ने 391 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया. निकाय चुनाव के नतीजों के बाद बीजेपी जश्न मना रही है कि उसका गेमप्लान सही साबित हो गया, लेकिन नतीजों में कई मुस्लिम बहुल इलाके में बीजेपी दूसरे नंबर पर रही. दूसरी तरफ यूपी नगर निकाय में सभी 17 मेयर सीट अयोध्या, झांसी, बरेसी, मथुरा-वृंदावन, मुरादाबाद, सहारनपुर, प्रयागराज, अलीगढ़, शाहजहांपुर, ग़ाज़ियाबाद, आगरा, लखनऊ, कानपुर, मेरठ, फ़िरोज़ाबाद, वाराणसी और गोरखपुर जीतने के बाद बीजेपी में जश्न का माहौल तो है, लेकिन लोकसभा चुनाव के मद्देनजर पार्टी की चिंता भी बढ़ी है.

बीजेपी के कई सांसदों के क्षेत्र में निकाय चुनाव का परिणाम पार्टी के  खिलाफ चला गया है जो मिशन 80 यानी यूपी की सभी लोकसभा सीट जीतने की तैयारी के हिसाब से बहुत बड़ा झटका है . इसी के मद्देनजर बीजेपी अभी से तैयारियों में लग गई हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हर महीने उत्तर प्रदेश आएंगे और गृहमंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा चुनाव की कमान संभालेंगे . 

राज्य शहरी स्थानीय निकाय (यूएलबी) चुनावों में  बीजेपी के 391 मुस्लिम उम्मीदवारों में से 61 ने जीत हासिल की है. जिसमें पांच नगर पालिका परिषद (एनपीपी) के अध्यक्ष, 32 नगर पंचायत (एनपी) के अध्यक्ष, 80 नगरसेवक और एनपीपी और एनपी के 278 सदस्य शामिल हैं. 

शहरी स्थानीय निकायों में 17 मेयर और 1,401 पार्षदों के लिए दो चरणों (चार मई और 11 मई को) में चुनाव हुए थे. प्रदेश चुनाव आयोग के अनुसार, 19 पार्षद निर्विरोध चुने गए.

कई मुस्लिम बहुल इलाकों में भी बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा. रामपुर, टांडा (दोनों रामपुर में), अफजलगढ़ (बिजनौर), मुबारकपुर (आजमगढ़) और ककराला (बदायूं) में नगर पालिका का चुनाव बीजेपी हार गई.

रामपुर में बीजेपी उम्मीदवार मुसर्रत मुजीब आम आदमी पार्टी की उम्मीदवार सना खानम से 11,000 मतों से हार गए. टांडा में बीजेपी उम्मीदवार महनाज जहां  निर्दलीय साहिबा सरफराज से हार गईं. 

आजमगढ़ में निर्दलीय उम्मीदवार सबा शमीम ने बीजेपी की मुस्लिम प्रत्याशी तमन्ना बानो को हरा दिया. बिजनौर के अफजलगढ़ नगर पालिका के चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी खतीजा खातून निर्दलीय प्रत्याशी तबस्सुम से हार गईं.

 

बीजेपी सांसदों के निर्वाचन क्षेत्र में निकाय चुनाव में पार्टी को करारी हार

निकाय चुनाव में कई बीजेपी सांसदो के निर्वाचन क्षेत्र में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है.  प्रदेश में बीजेपी को कुल 91 नगर पालिका परिषद और 191 नगर पंचायतों में जीत मिली है. 108 नगर पालिका परिषद और 353 नगर पंचायतों में बीजेपी को हार मिली है. सूत्रों के मुताबिक 13 मई को नतीजे आने के अगले ही दिन पार्टी मुख्यालय ने सभी जिलाध्यक्षों से रिपोर्ट मांगी गई. इसके बाद क्षेत्रीय बैठकों में नतीजों पर चर्चा जारी है. 

अब पीएम मोदी, जेपी नड्डा, अमित शाह संभालेंगे कमान

लोकसभा चुनाव को लेकर प्रदेश में 'मिशन 80' को पूरा करने के लिए अब पीएम मोदी से लेकर गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेडी नड्डा तक कमान संभालेंगे.  जून से ही पीएम मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ चुनावी मैदान में उतरेंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जून से हर महीने किसी न किसी उद्घाटन, शिलान्यास या लोकार्पण कार्यक्रम में शामिल होकर पश्चिम से पूरब और अवध से बुंदेलखंड के जिलों तक पहुंचेंगे.

एक नजर बीजेपी की उन हारी हुई सीटों पर जहां से उसे जीत की थी उम्मीद

केंद्रीय मंत्री डॉ संजीव बालियान के जिले की दो नगरपालिका परिषदों और आठ नगर पंचायतों में से बीजेपी 9 सीटें हार गई. इसे केंद्रीय मंत्री डॉ संजीव बालियान के इलाके में बीजेपी की बड़ी हार मानी जा रही है. केवल मुजफ्फरनगर सीट पर बीजेपी जीतने में कामयाब रही है. 

लोकसभा क्षेत्र की मेरठ नगर निगम की सीट को छोड़कर 15 में से पार्टी केवल चार निकाय सीटें जीत पाई है. हापुड़ सीट में भी बीजेपी हार गई है. यहां से राजेंद्र अग्रवाल बीजेपी के सांसद हैं. बागपत के सांसद सत्यपाल सिंह के जिले में भी बीजेपी केवल 9 में से एक नगर पालिका परिषद जीत पाई है. 

एटा में भी बीजेपी के पक्ष में कोई खास नतीजे नहीं आए हैं. बता दें कि एटा पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह का चुनावी क्षेत्र है. यहां से बीजेपी के खाते में दो नगर पालिका ही आई है. जबकि नगर पंचायतों में 6 में से केवल 1 पर ही बीजेपी ने जीत दर्ज की है.

सहारनपुर लोकसभा क्षेत्र के निकाय चुनाव के नतीजे भी बीजेपी के लिए कुछ खास नहीं रहे. सहारनपुर में मेयर के चुनाव में बीजेपी ने जीत दर्ज की है. देवबंद में भी बीजेपी को जीत मिली है. इसके अलावा नकुड और सरसावा में भी बीजेपी को जीत मिली है.

इसी लोकसभा क्षेत्र की शामली नगर पालिका भी बीजेपी को जीत मिली है. इसके अलावा पूरे लोकसभा क्षेत्र में बीजेपी के खाते में एक भी सीटें नहीं आई हैं. शामली जिले में कैराना, कांधला नगरपालिका और थानाभवन, जलालाबाद, गढ़ी पुख़्ता, एलम, ऊन नगर पंचायत भी बीजेपी हार गई है.

सहारनपुर जिले में ही सरसावा में निर्दलीय, गंगोह में बसपा, ननौता में निर्दलीय ,रामपुर मनिहारान में बीएसपी, अंबेहटा पीर में रालोद, तीतरों में सपा, बेहट में निर्दलीय और छुटमलपुर में गठबंधन प्रत्याशी जीते हैं.

सांसद साक्षी महाराज के चुनाव क्षेत्र उन्नाव जिले में तीन नगर पालिका और 16 नगर पंचायतों में से बीजेपी को उन्नाव सदर के साथ सिर्फ दो नगर पंचायतों में जीत मिली है. पूर्वी उत्तर प्रदेश में बस्ती सांसद हरीश द्विवेदी, खलीलाबाद के सांसद प्रवीण निषाद या डुमरियागंज के सांसद जगदंबिका पाल और आजमगढ़ के सांसद और भोजपुरी गायक दिनेश लाल निरहुआ के चुनाव क्षेत्र में भी बीजेपी को हार मिली है.  

एक नजर में बीजेपी के जीते हुए प्रत्याशी

बीजेपी ने पांच नगर पालिकाओं में अध्यक्ष पद का चुनाव जीता है. उनमें से एक बरेली के धौरा टांडा से बीजेपी के उम्मीदवार नदीम-उल-हसन ने समाजवादी पार्टी के वकील अहमद को लगभग 1,000 वोटों के अंतर से हरा दिया. सहारनपुर के सुल्तानपुर चिलकाना नगर पालिका में बीएसपी के अकबर बीजेपी प्रत्याशी फूल बानो से हार गए. 

मुरादाबाद और हरदोई :
सिरसी में बीएसपी के मोहम्मद वसीम बीजेपी प्रत्याशी कौसर अब्बास से हार गए. सपा प्रत्याशी मुसाहिब हुसैन नकवी चौथे नंबर पर रहे. मुरादाबाद जिले के भोजपुर नगर पालिका में सपा की मोहसिना को बीजेपी की फरखंडा जबी से हार का सामना करना पड़ा. हरदोई के गोपामऊ नगर पालिका में निर्दलीय नौशाद को बीजेपी प्रत्याशी वली मोहम्मद से 55 मतों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा है.

लखनऊ-गोरखपुर में मुस्लिम उम्मीदवार : लखनऊ के हुसैनाबाद वार्ड से लुबना अली खान जीते हैं. सीएम योगी आदित्यनाथ के राजनीतिक क्षेत्र गोरखपुर के नवगठित बाबा गंभीरनाथ नगर से हकीकुन निशा जीते हैं.

सीएम योगी ने की थी 50 सभाएं  

यूपी नगर निकाय चुनाव से पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 50 से ज्यादा जनसभाएं की थी. योगी आदित्यनाथ ने ट्रिपल इंजन की सरकार का नारा भी दिया था.  सीएम ने बीजेपी के शासन का मॉडल जनता के सामने रखा था. दूसरी तरफ यूपी में किसी भी विपक्षी पार्टी ने इतने बड़े पैमाने पर प्रचार नहीं किया था. यूपी में कांग्रेस की मौजूदगी भी कमजोर है. मजबूत पकड़ और  बड़े लेवल  पर प्रचार  के बाद जिस तरह के नतीजे आए वो बीजेपी के लिए परेशान करने वाले ही हैं. 

क्या लिटमस टेस्ट में फेल हो गई बीजेपी? 

2024 के आम चुनाव से पहले हुए यूपी के नगर निकाय को 2024 में आम चुनावों का लिटमस टेस्ट या सेमीफाइनल भी कहा गया. चुनावी नतीजों के बाद तमाम राजनीतिक दल यूपी में 2024 के लोकसभा चुनाव की अपनी तैयारी को परखेंगे. बीजेपी ने इस चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंकी थी. और अपने पक्ष  में बेहतर नतीजों की उम्मीद कर रही थी.

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