आगराः कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों...! इस कहावत को चरितार्थ किया है कि आगरा के दयालबाग इलाके के रहने वाले और पेशे से चश्मा कारोबारी गजेंद्र शर्मा ने, जो सुप्रीम कोर्ट में ऐसी लड़ाई लड़ रहे हैं जिससे देश के सवा सौ करोड़ देशवासियों का भला होने की पूरी उम्मीद है. दरअसल वो ऐसी लड़ाई सुप्रीम कोर्ट में लड़ रहे हैं जो लॉकडाउन से जुड़ी हुई है. मोरेटोरियम (ईएमआई भुगतान स्थगन) के लाभार्थियों को चक्रवृद्धि ब्याज से राहत देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं. इस लड़ाई में उनके पीछे खड़ी है 100 से ज्यादा वकीलों की फौज, ऐसे में उन्होंने ठानी है कि ब्याज पर ब्याज ना देने की ज़िद.
फिल्म 'ओह माई गॉड' के कांची लाल मेहता सबको याद होंगे, जो एक्ट ऑफ गॉड के खिलाफ कोर्ट में जाते हैं. देखते ही देखते पूरे देश में छा जाते हैं. कांची लाल की तरह ही दयालबाग निवासी गजेंद्र शर्मा भी लोन मोरेटोरियम (ईएमआइ भुगतान स्थगन) के लाभार्थियों को ब्याज पर ब्याज से राहत देने की अर्जी सुप्रीम कोर्ट में दाखिल कर करोड़ों लोगों के हीरो बन गए हैं. गूगल, यूट्यूब पर गजेंद्र शर्मा लोन मोरेटोरियम आगरा डालते ही उनकी तस्वीर सामने आ जाती है.
मुश्किल था ब्याज पर ब्याज देना
लॉकडाउन के बाद भारतीय रिजर्व बैंक ने मोरेटोरियम के तहत राहत देने का ऐलान किया था. मगर, बाद में ब्याज पर ब्याज का मामला आया तो संजय प्लेस मार्किट में चश्मे की दुकान करने वाले गजेंद्र शर्मा परेशान हो गए. उन्होंने बताया कि उन पर करीब 15 लाख का होम लोन था. लॉकडाउन में काम बंद था, ऐसे में ब्याज पर ब्याज देना मुश्किल था. ये केवल उनकी परेशानी नहीं थी, बल्कि देशभर में उन जैसे करोड़ों लोग कोरोना महामारी के दौर में इससे प्रभावित थे. ऐसे में उन्होंने यह लड़ाई लड़ने की ठानी और सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की.
लोगों का साथ मिला तो बढ़ी हिम्मत
गजेंद्र शर्मा बताते हैं कि याचिका पर सुनवाई के बाद उनके पास प्रभावित लोगों के फोन और मैसेज आने लगे. हर कोई उन्हें धन्यवाद दे रहा था. लोगों का साथ मिला तो हिम्मत बढ़ती गई. अब 28 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है. उनका मानना है कि यह अंतिम सुनवाई होगी. इस सुनवाई में देश के करोड़ों लोगों को न्याय मिलने की उम्मीद है.
शर्मा के अनुसार हर सुनवाई के बाद स्थिति जानने को उनके पास लगातार फोन आते हैं।.उन्होंने बताया कि बेंगलुरु में रहने वाले ट्रेवल एजेंसी संचालक विश्वनाथ राव ने संपर्क कर कहा कि उन पर भी लोन है. केस में जीत के लिए वो रोज उनके नाम का दीपक जलाते हैं. इसी तरह लखनऊ निवासी रेहान कुरैशी भी हर दिन दुआ मांगते हैं. तेलंगाना के करीम नगर निवासी शैलेंद्र सिंह हर सुनवाई से पहले मंदिर में पूजा करते हैं. गजेंद्र शर्मा ने बताया कि उनकी याचिका के बाद इस मामले में अलग-अलग करीब एक दर्जन से ज्यादा याचिका दाखिल हुई. सुप्रीम कोर्ट ने सभी याचिका इसमें ही शामिल कर लीं.
100 से ज्यादा वकील केस से जुड़े
सुनवाई के समय उनके वकीलों के साथ 100 से ज्यादा वकील और जुड़ गए. इस लड़ाई में सबका साथ मिल रहा है. इस लड़ाई की शुरुआत में उनके बेटे राहुल शर्मा ने काफी मदद की, जो सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता हैं. राहुल शर्मा कहते हैं कि पापा ने मुझसे कहा कि इस मामले को मैं देश के सबसे बड़े न्याय के मंदिर में लड़ूंगा तो मैंने याचिका तैयार की और 4 मई को याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की और सुप्रीम कोर्ट ने विषय की गम्भीरता को समझा और सुनवाई शुरू हो गयी.
करोड़ों लोगों को राहत की उम्मीद
राहुल शर्मा का कहना है कि एक तरफ सुप्रीम कोर्ट में सरकार, आरबीआई और अन्य बैंकों की तरफ से देश के नामी गिरामी वकील पैरवी कर रहे हैं, लेकिन उनके पिता ये लड़ाई देश की जनता के लिए लड़ रहे हैं. इसलिए हमें लगातार न्याय मिल रहा है.
सरकार, आरबीआई के पास ये जवाब नहीं है कि आपदा में आप जनता का शोषण कैसे कर सकते हैं. ऐसे में 28 सितम्बर को आगामी सुनवाई में हमें पूरी उम्मीद है कि हमारे प्रयास से देश के करोड़ों लोगों को राहत मिलेगी. वहीं, गजेंद्र शर्मा की साहूकारी ब्याज को लेकर जो मुहिम चल रही है उसे देशव्यापी समर्थन मिला है क्योंकि ये लड़ाई उन्होंने अपने लिए नहीं करोड़ों देशवासियों के लिए लड़ रहे हैं. लोग भी उनसे लगातार जुड़ रहे हैं.
सरकार को नहीं सूझ रहा जवाब
आगरा शहर से गजेंद्र शर्मा ने जिस न्याय की लड़ाई लड़ने की शुरुआत की है, उसमें उन्हें एक तरफ पूरे देश से समर्थन मिल रहा है, तो वहीं उनके साथ अब वकीलों की फौज भी आ गयी है. अब आरबीआई और सरकार को समझ नहीं आ रहा कि इस मुद्दे को कैसे हल किया जाए, क्योंकि राइट टू लाइफ के तहत आपदा में सरकार जनता से लाभ नहीं कमा सकती.
एक तरफ उधार लेने वालों को समस्या ये है कि मोरेटोरियम का लाभ उठाने के बदले चक्रवृद्धि ब्याज देना पड़ेगा तो वहीं सरकार और आरबीआई के पास दुविधा ये है कि अगर वो छूट देते हैं तो उनका खज़ाना बुरी तरह खाली हो जाएगा. लेकिन गजेंद्र शर्मा को उम्मीद है कि उनकी लड़ाई से पूरे देश को न्याय मिलेगा .
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