बाहुबली धनंजय सिंह की बढ़ेंगी मुश्किलें, HC से जमानत निरस्त कराने की तैयारी में है यूपी सरकार
पुलिस समेत दूसरा सरकारी अमला अजीत सिंह मर्डर केस में धनंजय की भूमिका को लेकर फूंक-फूंककर कदम रख रहा है. हाईकोर्ट से जमानत निरस्त होने की सूरत में धनंजय की मुश्किलें और बढ़ जाएंगी.
प्रयागराज: पूर्वांचल के बाहुबली नेता और पूर्व सांसद धनंजय सिंह की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. लखनऊ के चर्चित अजीत सिंह मर्डर केस में धनंजय की गिरफ्तारी के लिए ताबड़तोड़ छापेमारी किये जाने के बाद यूपी सरकार अब हाई कोर्ट से मिली उनकी जमानत निरस्त कराने की तैयारी में है. सूत्रों के मुताबिक़ सूबे के गृह विभाग ने धनंजय की जमानत निरस्त कर उन पर कानूनी शिकंजा कसने के लिए हाई कोर्ट में नियुक्त सरकारी वकीलों से राय मांगी है. उम्मीद जताई जा रही है कि वकीलों की हड़ताल ख़त्म होने के बाद हाईकोर्ट खुलने पर इसके लिए ज़रूरी औपचारिक प्रक्रिया शुरू की जा सकती है. हाईकोर्ट से जमानत निरस्त होने की सूरत में धनंजय की मुश्किलें और बढ़ जाएंगी और गिरफ्तारी के बाद दोबारा जेल भेजे जाने पर उसे आसानी से जमानत भी नहीं मिल सकेगी.
गौरतलब है कि लॉकडाउन के दौरान कंस्ट्रक्शन कंपनी के मालिक को धमकाकर उससे रंगदारी मांगने के मामले में धनंजय को पिछले साल गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था. इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले साल ही 27 अगस्त को धनंजय की अर्जी मंजूर करते हुए उसे सशर्त जमानत दी थी. जस्टिस रमेश तिवारी की बेंच ने अपने फैसले में कहा था कि जमानत पर रिहा होने के बाद धनंजय सिंह किसी अपराध में शामिल नहीं होंगे. कोर्ट के बुलाने पर अदालत में हाज़िर होंगे. मुक़दमे के ट्रायल के दौरान पूरा सहयोग करेंगे. सबूतों से छेड़छाड़ व गवाहों पर दबाव डालने का कोई काम नहीं करेंगे. इन शर्तों का पालन नहीं करने पर जमानत निरस्त भी की जा सकती है.
धनंजय ने अदालत में खुद ही अपनी हिस्ट्रीशीट पेश की थी
यूपी सरकार अब इन्ही शर्तों को तोड़ने के आधार पर धनंजय की जमानत इलाहाबाद हाईकोर्ट से निरस्त कराने की तैयारी में है. यही वजह है कि पुलिस समेत दूसरा सरकारी अमला अजीत सिंह मर्डर केस में धनंजय की भूमिका को लेकर फूंक-फूंककर कदम रख रहा है. एनकाउंटर में मारे गए गिरधारी के बयान के आधार पर उसे आरोपी बनाया गया और बीती रात लखनऊ समेत कई ठिकानों पर छापेमारी कर दो जगहों पर गिरफ्तारी वारंट की नोटिस भी चस्पा की गई थी. यह औपचारिकताएं इसीलिए की गईं कि ताकि हाईकोर्ट को बताया जा सके कि धनंजय जमानत पर जेल से छूटकर आपराधिक वारदातों को अंजाम दे रहा है और कानूनी प्रक्रियाओं का कतई पालन नहीं कर रहा है. पिछले साल हाईकोर्ट में दाखिल की गई जमानत अर्ज़ी में धनंजय ने अदालत में खुद ही अपनी हिस्ट्रीशीट पेश की थी. धनंजय की तरफ से दाखिल हलफनामे में बताया गया था कि उसके खिलाफ कुल 38 केस दर्ज हैं. इस 38 मामलों में से 24 में वह बरी हो चुका है. एक मुक़दमे में डिस्चार्ज हो चुका है. चार मुकदमों में फाइनल रिपोर्ट लग चुकी है. तीन केस सरकार की तरफ से वापस लिए जा चुके हैं. अब सिर्फ पांच मामले ही बचे हैं. धनंजय की तरफ से बचाव में यह भी कहा गया था कि उसके खिलाफ जो मामले दर्ज हुए हैं, उनमे से ज़्यादातर राजनैतिक प्रतिद्वंदिता के चलते दर्ज किये गए हैं. यूपी सरकार ने भी धनंजय द्वारा पेश किये गए क्रिमिनल रिकॉर्ड को सही माना था.
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