UP News: उत्तर प्रदेश में बहुचर्चित कारतूस कांड का फैसला आने के बाद 14 पुलिसकर्मियों पर बर्खास्तगी की तलवार लटक रही है. बता दें कि रामपुर की जिला अदालत ने 20 पुलिसकर्मियों समेत 24 दोषियों के खिलाफ शुक्रवार (13 अक्टूबर) को सजा का एलान किया. अदालत ने 22 दोषियों को 10-10 साल और 2 दोषियों को 7-7 साल की सजा सुनाई है. कारतूस घोटाले के सभी दोषी शुक्रवार दोपहर अदालत में पेश हुए. फैसला आने के बाद अब 14 खाकीवालों पर बर्खास्तगी की कार्रवाई तय मानी जा रही है. 24 दोषियों में से 14 वर्दीधारी अभी पुलिस बल का हिस्सा हैं.
इन खाकीवालों पर लटकी बर्खास्तगी की तलवार
जितेंद्र सिंह, सुशील कुमार मिश्रा, राम कृपाल सिंह, राजेश शाही, दिनेश कुमार द्विवेदी, अमरेश यादव, मनीष राय, रामकृष्ण शुक्ला, राजेश सिंह, नाथीराम सैनी, लोकनाथ, विनोद सिंह, ओमप्रकाश सिंह, रजय पाल को पुलिस सेवा से बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है. 13 साल पुराने मामले में गुरुवार (12 अक्टूबर) को सीआरपीएफ के दो हवलदार, पुलिस कर्मी और सिविलियन समेत 24 लोगों को अदालत ने दोषी माना था. सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने 9 साक्ष्य अदालत में पेश किए थे.
कारतूस कांड में 24 दोषियों पर कोर्ट का फैसला
कारतूस घोटाले का खुलासा एसटीएफ लखनऊ ने 29 अप्रैल 2010 को किया था. जांच के दौरान कारतूस घोटाले की कड़िया जुड़ती गईं. केंद्रीय आयुध भंडार रामपुर से कारतूस नक्सलियों तक पहुंचाए जा रहे थे. नक्सलियों ने कारतूस का इस्तेमाल दंतेवाड़ा हमले में किया था. छह अप्रैल, 2010 को दंतेवाड़ा नक्सली हमले में सीआरपीएफ के 76 जवान शहीद हो गए थे. एसटीएफ के एसआई प्रमोद कुमार की विवेचना में एक डायरी का पता चला. डायरी में मोबाइल नंबर और अकाउंट नंबर की जानकारी मिली. जांच को आगे बढ़ाते हुए 25 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी गई. मुकदमे की सुनवाई के दौरान कारतूस घोटाले का मास्टरमाइंड पीएसी से रिटायर दारोगा यशोदानंद की मौत हो गई थी.