प्रयागराज: गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद चाइना बॉर्डर पर दोनों तरफ से सैनिकों का जमावड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है. भारतीय फ़ौज ने भी इस घटना के बाद हज़ारों की संख्या में अपने और सैनिक बॉर्डर पर तैनात कर दिए हैं. उत्तर भारत के चार राज्यों के जिन फौजियों को चाइना बॉर्डर पर भेजा जा रहा है, उन्हें पहले प्रयागराज के आर्मी सेंटर में क्वॉरंटीन किया जाता है. यहीं उनका कोविड टेस्ट होता है. रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर सैनिकों का इलाज प्रयागराज के आर्मी सेंटर में ही किया जाता है, जबकि बाकी सैनिकों को क्वॉरंटीन की मियाद पूरी होने के बाद बॉर्डर के लिए रवाना कर दिया जाता है. कोविड पॉजिटिव आने वाले जवानों को इलाज और क्वॉरंटीन के बाद वापस उनकी बटालियन में भेज दिया जाता है.
कोविड की टेस्टिंग और क्वॉरंटीन के लिए प्रयागराज के न्यू कैंट इलाके में ख़ास इंतजाम किये गए हैं. हॉस्पिटल के अलावा गेस्ट हाउसों को क्वॉरंटीन सेंटर में तब्दील कर दिया गया है. उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश से चीन के बॉर्डरों पर भेजे जाने वाले सैनिकों को पहले प्रयागराज लाया जाता है. यहां न्यू कैंट-ओल्ड कैंट और आयुध डिपो के सेंटर्स पर उनकी टेस्टिंग व क्वॉरंटीन किया जाता है. अब तक इन चार राज्यों के डेढ़ हज़ार से ज़्यादा जवानों को यहां क्वॉरंटीन किया जा चुका है. इनमे से 160 जवान पॉजिटिव पाए गए थे, जिनमे से ज़्यादातर अब पूरी तरह ठीक हो चुके हैं.
क्वॉरंटीन सेंटर्स के हरेक कमरे में दो जवानों को रखा जाता है
यहां के क्वॉरंटीन सेंटर्स के हरेक कमरे में दो जवानों को रखा जाता है. उनके खान पान पर ख़ास ध्यान दिया जाता है. यहां से निकलने के बाद सैनिकों को बेहद अहम मोर्चे पर कमान संभालनी होती है, इसलिए इन जवानों की काउंसलिंग भी की जाती है. जवानों को बचाने और यहां रहने वाले फौजियों व उनके परिवार को सुरक्षित रखने के लिए सभी आर्मी सेंटर्स में बाहरी लोगों का प्रवेश पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया है. सेना के पीआरओ शैलेन्द्र पांडेय के मुताबिक़ जवानों को इन दिनों दोहरे मोर्चे पर जूझना पड़ रहा है. एक तो उन्हें अपनी सरहदों की रक्षा करनी है तो दूसरा उन्हें खुद को कोरोना की महामारी से बचाना है.
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