Muzaffarnagar Former BJP MLA and Tehsildar Clash: उत्तर प्रदेश में अधिकारी बीजेपी नेताओं पर इस कदर हावी हैं कि अधिकारियों पर बीजेपी नेताओं का सम्मान ना करने के आरोप समय-समय पर लगते आए हैं. इसका जीता जागता उदाहरण मुजफ्फरनगर की जानसठ तहसील में उस समय देखने को मिला जब शासनादेश के अनुसार संपूर्ण समाधान दिवस कार्यक्रम में जिले के जिलाधिकारी चंद्र भूषण सिंह और एसएसपी अभिषेक यादव सहित कई अधिकारी आम लोगों की समस्याओं को सुनकर उनका निराकरण करा रहे थे. इसी बीच तहसील में बीजेपी के दो बार विधायक रहे सुरेश तितौरिया अपनी समस्याओं को लेकर तहसील पहुंच गए. 


मारपीट की नौबत तक आ गई
जानकारी के अनुसार पूर्व विधायक पिछले लगभग दो साल से अपनी समस्या को लेकर तहसीलदार के चक्कर काट रहे हैं. आज अपनी समस्या का समाधान ना होता देख उन्होंने तहसील कैम्पस में खड़े तहसीलदार को जमकर खरी खोटी सुनानी शुरू कर दी. तहसीलदार ने भी बीजेपी के पूर्व विधायक के साथ आम आदमी की तरह व्यवहार करना शुरू कर दिया जिसके बाद दोनों के बीच मारपीट की नौबत तक आ गई. मौके पर मौजूद जानसठ कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक डीके त्यागी ने किसी तरह से दोनों का बीच बचाव कराया. 


शांत कराया गया विवाद 
मामला इस प्रकार है कि जानसठ से बीजेपी के दो बार विधायक रहे पूर्व विधायक सुरेश तितौरिया जानसठ ‌तहसील मुख्यालय पहुंचे तो वहां पर संपूर्ण समाधान दिवस चल रहा था. जिसमें जिलाधिकारी मुजफ्फरनगर चंद्र भूषण सिंह और एसएसपी अभिषेक यादव सभागार कक्ष में समस्याएं सुन रहे थे. तभी सभागार कक्ष के बाहर ही पू्र्व विधायक सुरेश तितौरिया और तहसीलदार अभय कुमार पांडे के बीच नोकझोंक शुरू हो गई. मामला इतना बढ़ गया कि दोनों में हाथापाई की नौबत तक आ गई. विवाद के बीच जानसठ इंस्पेक्टर डीके त्यागी बीच में गए और दोनों को शांत कराया. 


समस्या के समाधान का दिया आश्वासन
पूर्व विधायक सुरेश तितौरिया का आरोप है कि उनके पिता की मृत्यु हुए करीब दो साल हो गए हैं. उनके परिवार ने बैठकर एक वसीयत पहले ही तैयार करा रखी थी. जिसके बाद उन्होंने वसीयत के अनुसार नाम दर्ज कराने के लिए आवेदन कर दिया. पूर्व विधायक ने बताया कि वो चार भाई हैं. लेकिन, मैंने अपना हिस्सा भी अन्य तीनों के नाम करने के लिए ही वसीयत तैयार कराई थी. उन्होंने बताया कि सालों धक्के खाने के बाद जानसठ तहसीलदार अभय कुमार पांडे ने नाम चढाए तो गलत चढ़ा दिए. बाद में उसको ठीक कराने के लिए कहा तो वारिस के आधार पर सब के नाम चढा दिए. वो सालों से वसीयत के आधार पर ही नाम चढ़ाने के लिए कह रहे हैं. लेकिन, कोई सुनवाई नहीं होती. बीजेपी के पूर्व विधायक ने बाद में डीएम से मिलकर सारी बात बताई तो डीएम ने दोनों को शांत करते हुए शीघ्र उनकी समस्या का समाधान करने का आश्वासन दिया.


पत्रकारों को निकाला बाहर 
वहीं, जिलाधिकारी ने कवरेज कर रहे पत्रकारों को हड़काते हुए सभाकक्ष से उस बाहर निकाल दिया. जब जिलाधिकारी पूर्व विधायक और तहसीलदार के बीच हुए विवाद को सुन रहे थे तो वहां कुछ पत्रकारों ने कवरेज करने की कोशिश की. इस दौरान डीएम ने पत्रकारों को धमकाकर बाहर निकाल दिया. बाद में डीएम ने फरमान जारी करते हुए बताया कि कोई भी पत्रकार संपूर्ण समाधान दिवस में अंदर आकर कवरेज नहीं करेगा. वो बाहर रहकर ही फरियादी से बात कर सकता है. 


तहसीलदार की गलती है
इस मामले में केंद्रीय मंत्री डॉ संजीव बालियान से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले में तहसीलदार की गलती है. भारतीय जनता पार्टी के पूर्व विधायक सुरेश चंद तितौरिया जी बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता हैं और उनका अपमान किसी तरह से बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. पूर्व विधायक का काम, लीगल काम भी नहीं होगा तो फिर क्या होगा.



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