बॉलीवुड ने अपनी शुरुआत से लेकर अभी तक हमें कुछ बेमिसाल कलाकार दिए हैं। ये एक्टर्स जब भी, जिस भी रूप में बड़े परदे पर आते हैं अपनी एक्टिंग से दर्शकों का दिल जीत लेते हैं। उन्हीं बेमिसाल एक्टर्स में से एक हैं सुप्रिया पाठक। सुप्रिया ने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को 40 साल दिए हैं और इन 40 सालों में उन्होंने बॉलीवुड से लेकर टीवी तक में कई बढ़िया फ़िल्में और सीरियलों में काम किया है और हमें कई यादगार किरदार दिए हैं।
सीरियल ‘खिचड़ी’ के लिए सुप्रिया को कॉमिक किरदार में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के इंडियन टेली अवॉर्ड से नवाजा जा चुका है। साल 2005 में इसका सीक्वल भी आया जिसमें शानदार काम के लिए उन्हें फिर से वही सम्मान प्राप्त हुआ। इस धारावाहिक के अलावा सुप्रिया ने अपने पूरे फिल्मी करियर में कई अलग अलग तरह के शानदार किरदार किए हैं। सुप्रिया जिस भी किरदार को निभाती हैं, उसमें जान डाल देती हैं।
कलयुग (1981)
श्याम बेनेगल के निर्देशन में बनी इस फिल्म को नए जमाने के महाकाव्य महाभारत के रूप में समझा जाता है। इस नए जमाने के महाभारत में सुप्रिया ने भगवान कृष्ण की बहन और अर्जुन की पत्नी सुभद्रा की भूमिका निभाई है। महाभारत की ही तरह यह फिल्म भी दो परिवारों की कहानी है जिसमें शशि कपूर, रेखा, राज बब्बर, अनंत नाग आदि मुख्य भूमिकाओं में हैं। इस फिल्म में शानदार अभिनय के लिए सुप्रिया को सर्वश्रेष्ठ सहायक कलाकार के फिल्मफेयर अवॉर्ड से नवाजा गया।
बाजार (1982)
उलझी हुई कहानी में फंसी लड़की, जिसका भाव लगाकर उसे किसी शेख के यहां ब्याह दिया गया। सुप्रिया ने अपने इस किरदार को बखूबी निभाया था। किसी से प्यार करने की कशमकश, घरवालों की मर्ज़ी को मानना और फिर ना चाहते हुए भी किसी अजनबी से शादी कर अपनी ज़िन्दगी को ख़त्म कर लेना। आपको ये बात जानकर हैरानी होगी कि सुप्रिया को इस फिल्म में काम करने के पैसे फिल्म के हिट हो जाने के बाद मिले थे। इस फिल्म में शानदार अभिनय के लिए सुप्रिया को सर्वश्रेष्ठ सहायक कलाकार के फिल्मफेयर अवॉर्ड से भी नवाजा गया।
वेक अप सिड (2009)
इस फिल्म में सुप्रिया रणबीर कपूर की मां के किरदार में थीं। बाप और बेटे की लड़ाई में फंसी, सरिता मेहरा, अपने बेटे को सपोर्ट करती है लेकिन पति का साथ भी नहीं छोड़ती। उनके इस किरदार ने हम सभी का दिल जीता था। बदलते समय के साथ बदलती पीढ़ी के बच्चों की देखभाल करना और अपनी ख्वाहिशों को उनकी ख्वाहिशों के सामने कुर्बान कर देने वाली मां के किरदार में सुप्रिया को खूब पसंद किया गया।
खिचड़ी: द मूवी
खिचड़ी में हंसा का किरदार सुप्रिया पाठक से बेहतर कोई नहीं निभा सकता। ये एक ऐसा किरदार है, जो शायद सुप्रिया के लिए लिखा गया था और उन्होंने पिछले कई सालों में इसे इतने बेहतरीन तरीके से निभाया है कि सुप्रिया को हंसा के नाम से ही घर-घर में जाना जाने लगा। सुप्रिया पाठक का दूसरा नाम हंसा हो गया और उनका काम इस रोल में इतना बढ़िया है कि आप सबकुछ भूल कर उनकी कॉमेडी को एन्जॉय करते हैं।
गोलियों की रासलीला: राम-लीला (2014)
संजय लीला भंसाली के निर्देशन में बनी इस सुपरहिट फिल्म में सुप्रिया पाठक ने शानदार काम कर दिखाया। इस फिल्म में सुप्रिया ने इतना बढ़िया काम किया था कि उसकी जितनी तारीफ हो कम है। अपने घर की मुखिया धनकोर, जो अपने परिवार से प्यार करती है और जो उसके अपनों पर नज़र भी उठाये तो एकदम निर्दयी भी हो जाती है। फिल्म में सुप्रिया का हर सीन अच्छा था और उन्होंने अपने रोल से सभी पर बड़ी छाप छोड़ी। फिल्म राम लीला की बा के किरदार के लिए सुप्रिया को बेस्ट नेगेटिव रोल का जी सिने अवार्ड मिला था।