लखनऊ: एक्सप्रेस-वे गोरखपुर, गोरखपुर बाईपास एनएच-27 गांव-जैतपुर के पास से शुरू होकर पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पर आजमगढ़ जिले में खत्म होगा. एक्सप्रेस-वे की लम्बाई 91.352 किलोमीटर है. एक्सप्रेस-वे से गोरखपुर, अम्बेडकर नगर, संतकबीर नगर, आजमगढ़ जिले के लोगों को अधिक फायादा होगा.


एक्सप्रेस-वे 4 लेन चौड़ा (6 लेन तक विस्तारणीय) होगा. एक्सप्रेस-वे के एक ओर 3.75 मीटर चौड़ाई की सर्विस रोड स्टैगर्ड रूप में बनाई जाएगी जिससे परियोजना के आस-पास के गांव के निवासियों को एक्सप्रेस-वे पर आवागमन की सुविधा उपलब्ध हो सके. एक्सप्रेस-वे के निर्माण में 2 टोल प्लाजा, 3 रैम्प प्लाजा, 7 फ्लाईओवर, 16 व्हेकुलर अंडरपास, 50 लाइट व्हेकुलर अंडरपास, 35 पेडेस्ट्रियन अंडरपास और 389 पुलियों का निर्माण भी किया जाएगा.


इस परियोजना की कुल लगभग लागत 5876.68 करोड़ और सिविल निर्माण की अनुबन्धित लागत 3024.10 करोड़ है. परियोजना के क्रियान्वन के लिए 2 पैकेजों में विभक्त किया गया है. पैकेज 1 का निर्माण कार्य 10.02.2020 से और पैकेज- 2 का निर्माण 19.06.2020 से शुरू कर दिया गया है.


अब तक 83.62 प्रतिशत क्लीयरिंग एंड ग्रबिंग एवं 20.14 प्रतिशत मिट्टी का कार्य पूर्ण हो चुका है. परियोजना की कुल भौतिक प्रगति 6 प्रतिशत पूर्ण कर ली गयी है. परियोजना को पूर्ण करने की सम्भावित समयावधि अप्रैल 2022 है.


परियोजना से लाभ


- एक्सप्रेस-वे के निर्माण से गोरखपुर क्षेत्र पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के माध्यम से लखनऊ, आगरा एवं दिल्ली तक त्वरित एवं सुगम यातायात कॉरिडोर से जुड़ जाएगा.
- एक्सप्रेस-वे के निर्माण से गोरखपुर क्षेत्र का सर्वांगीण विकास का मार्ग प्रशस्त होगा. एक्सप्रेस-वे के प्रवेश नियंत्रित होने से वाहनों के ईंधन खपत में महत्वपूर्ण बचत, समय की बचत एवं पर्यावरणीय प्रदूषण का नियंत्रण भी संभव हो सकेगा.
- परियोजना से अच्छादित क्षेत्रों के सामाजिक एवं आर्थिक विकास के साथ ही कृषि, वाणिज्य, पर्यटन तथा उद्योगों की आय को बढ़ावा मिलेगा.
- एक्सप्रेस-वे से अच्छादित क्षेत्रों में स्थित विभिन्न उत्पादन ईकाईयों, विकास केन्द्रों तथा कृषि उत्पादन क्षेत्रों को राष्ट्रीय राजधानी से जोड़ने हेतु एक औद्योगिक कॉरिडोर के रूप में सहायक होगा. एक्सप्रेस-वे के निकट इण्डस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट, शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थान, मेडिकल संस्थान आदि की स्थापना हेतु भी अवसर सुलभ होंगे. एक्सप्रेस-वे खाद्य प्रसंस्करण इकाईयों, भण्डारण ग्रह मण्डी तथा दुग्ध आधारित उद्योगों की स्थापना हेतु एक उत्प्रेरक के रूप में काम करेगा.



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