कानपुर: कोरोना की तीसरी लहर की तैयारियों के बीच प्रत्येक मेडिकल कॉलेज में 100 बेड बच्चों के इलाज के लिए तैयार किया जा रहा है. कानपुर मेडिकल कॉलेज ने इसके माइक्रो मैनेजमेंट को लेकर शासन के निर्देश पर ध्यान देना शुरू कर दिया है. बच्चों के कोविड वार्ड में भर्ती रहने के समय अभिभावकों की मौजूदगी की जरूरत को समझते हुए बेड के बगल में काउच की व्यवस्था की जाएगी. इसी के साथ, डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ, नर्सिंग स्टाफ, सफाई कर्मियों को भी इस बाबत ट्रेनिंग दी जाएगी कि इलाज के दौरान बच्चों के साथ उनका व्यवहार कैसा होगा.  


बच्चों को प्रभावित कर सकती है तीसरी लहर 
अभी ये तय नहीं है कि कोरोना की तीसरी लहर कब आएगी लेकिन दूसरी लहर से सबक लेते हुए उत्तर प्रदेश सरकार अपने मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर को दुरुस्त करने में गंभीरता से जुटी हुई है. जानकार बता रहे हैं कि तीसरी लहर बच्चों को बुरी तरह प्रभावित कर सकती है. ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार ने हर मेडिकल कॉलेज में 100 बेड बच्चों के लिए आईसीयू, एचडीयू और वेंटिलेटर के साथ तैयार करने के निर्देश दे दिए हैं, ताकि आपातकालीन स्थिति में बच्चों को बचाया जा सके. 


अभिभावक को जाने की इजाजत दी जाएगी
गणेश शंकर विद्यार्थी कानपुर मेडिकल कॉलेज ने आगे की तैयारियों को अंजाम देना शुरू कर दिया है. कोविड आइसोलेशन वार्ड में बच्चों के साथ उनके एक अभिभावक को जाने की इजाजत दी जाएगी और इसके लिए काउच या फिर दो बाई 4 फुट की एक बेंच की व्यवस्था की जा रही है. ताकि, बच्चा अपने अभिभावक के साथ कोविड अस्पताल में रहते हुए ना सिर्फ अच्छे से इलाज करा सके बल्कि उसकी अच्छी तरीके से देखरेख भी हो सके.


स्वास्थ्य कर्मियों को दी जाएगी ट्रेनिंग 
बच्चों के लिए तैयार कराए जा रहे वार्ड में माइक्रो मैनेजमेंट पर कानपुर मेडिकल कॉलेज काम कर रहा है. इसके लिए डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ और यहां तक कि सफाई कर्मियों को भी ट्रेनिंग देने की योजना बनाई गई है. ताकि, आइसोलेशन वार्ड में बच्चों में संक्रमण का खतरा बेहद कम किया जा सके.


ना हो परेशानी 
डॉक्टरों का मानना है कि हर मां-बाप अपने कलेजे के टुकड़े को अपने से जुदा नहीं देख सकते. ऐसे में कोविड संक्रमण की तीसरी लहर में मां-बाप ज्यादा परेशान हो सकते हैं. इसी के मद्देनजर ऐसी योजना बनाई जा रही है ताकि कम से कम एक अभिभावक अपने बच्चे के साथ 24 घंटे मौजूद रहे ताकि बच्चे को भी परेशानी ना हो और मां-बाप भी बच्चे की देखरेख करते हुए संतुष्ट हो सकें.


ये भी पढ़ें: 


हमीरपुर: कोरोना मरीजों के लिये ये शख्स बना मसीहा, मुफ्त में ऑक्सीजन सिलेंडर और दवाइयां करा रहे उपलब्ध