शशिशेखर त्रिपाठी। आज के युग को लक्ष्मी युग कहा जाए तो कोई गलत न होगा। प्रत्येक मनुष्य केवल धन का साधन और धन की ही साधना कर रहा है। लक्ष्मी के प्राप्ति के लिए महर्षियों ने कई प्रकार के साधन बताए हैं। जिनमे स्फटिक को महत्वपूर्ण माना जाता है। स्फटिक का संबंध ग्रह शुक्र और श्री से है। ज्योतिष में शुक्र ग्रह को समृद्धि का कारक माना जाता है। जब धन की अथवा माता लक्ष्मी की कृपा चाहिए तो शुक्र ग्रह का अनुकूल होना आवश्यक होता है। श्री यंत्र में माता लक्ष्मी के निवास का साधन माना जाता है । श्री यंत्र की साधना से माता लक्ष्मी अतिशीघ्र प्रसन्न हो जाती हैं।
जो व्यक्ति मधुर बोलने वाला, अपने कार्य में तत्पर, क्रोधहीन, ईश्वर भक्त, अहसान मानने वाला ,इन्द्रियों को नियन्त्रण में रखने वाला और उदार हो उसके यहां लक्ष्मी निवास करती है। जो व्यक्ति अपने घर में कमलगट्टे की माला से लक्ष्मी जी का जाप करता है, उसे लक्ष्मी माता प्रसन्न रहती हैं और उस व्यक्ति को आर्थिक तंगी नहीं रहती है। जिस घर में सुबह और संध्या में दीपक जलाकर आरती और पूजन किया जाता है, उसके घर से लक्ष्मी माता कभी नहीं जाती है।
जो गृहणी नियमित रूप से गाय के प्रति श्रद्धा व पूजन करती है और भोजन कराती हैं , उनके यहां धन की कमी नहीं होती है। अनाज का सम्मान जिस घऱ में होता है और भोजन खाते समय थाली में छोड़ा नहीं जाता है, उनके घर में लक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती है। जिसके घर में परिजन सामूहिक रूप से भजन गाते हैं या आरती करते हैं, उनको कभी आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ता है। जिसके पैर स्वच्छ और सुन्दर होते हैं और जो लोग पैरों को साफ रखते हैं, उनके यहां पदोन्नति और लक्ष्मी का वास होता है। जो लोग प्रतिदिन नहीं नहाते हैं, उनसे लक्ष्मी दूर होने लगती है। जो व्यक्ति सूर्य उदय से पहले उठकर स्नान कर लेता है, जो सूर्यास्त से पहले स्नान कर पवित्र होता है। ऐसा करने से संपन्नता आती है। जो मौन रखकर भोजन करता है उसके घर में अवश्य ही लक्ष्मी बनी रहती है। जो व्यक्ति एकादशी तिथि को भगवान विष्णु को आंवला फल भेंट करता है, उसे श्री का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
धन-समृद्धि एवं आय में वृद्धि हेतु पुष्य नक्षत्र में श्वेतार्क की जड़ लाएं तथा विधिपूर्वक पूजन करें। गणपति जी का मंत्र जपते हुए दाहिने हाथ की कलाई में उसे धारण करें। ऐसा करने से धन-समृद्धि में वृद्धि होगी तथा आय में कई गुणा वृद्धि हो जाएगी। धन-हानि तथा चोरी से बचने हेतु यदि बार-बार धन-हानि एवं चोरी आदि की घटनाएं हो रही हों तो धन-समृद्धि की रक्षा हेतु दीपावली के दिन अशोक वृक्ष की जड़ का पूजन करें। दीपावली के पूजन के बाद शंख और डमरू बजाने से घर की दरिद्रता दूर होती है और लक्ष्मीजी का आगमन बना रहता है।
दीपावली के दिन नयी झाड़ू खरीदकर लाएं। पूजा से पहले उससे पूजा स्थान की सफाई कर उसे छुपाकर एक तरफ रख दें। अगले दिन से उसका उपयोग करें, इससे दरिद्रता का नाश होगा और लक्ष्मीजी का आगमन बना रहेगा।