Uttarakhand: संघर्षमय जीवन के बीच आधुनिक संसाधनों से दूर हैं इस गांव के लोग
उत्तराखंड के कपकोट ब्लॉक के गांव अभी आधुनिक तकनीक और विकास से दूर हैं. वहीं. यहां के ग्रामीण कृषि यंत्रों से दूर हैं और खुद बेहद संघर्ष करते हुये खेती कर रहे हैं.
बागेश्वर: पर्वतीय अंचलों में जीवन बहुत कठोर होता है. अक्सर हम सभी ने पहाड़ों में महिलाओं के कठिन जीवन को लेकर बहुत सारी कहानियां सुनी भी होती हैं. उन कहानियों की सच्चाई का अंदाजा बागेश्वर जिले के हिमालय से सटे कपकोट ब्लॉक अंतर्गत शामा उपतहसील क्षेत्र की महिलाओं को देखकर खुद-ब-खुद अंदाजा लगाया जा सकता है. गरीबी के दंश व तकनीकी ज्ञान के अभाव चलते यहां कई परिवारों की महिलाएं खेतों का काम कृषि यंत्रों व बैलों के बजाय खुद करने को मजबूर हैं.
गरीबी का दंश झेल रहे हैं गांववाले
बागेश्वर जिले की शामा तहसील के दूरस्थ क्षेत्र रिठकुला में महिलाओं की जीवन शैली किसी पहाड़ से कम नहीं है. यहां की महिलाएं देश दुनिया में नाम कमाने के साथ ही कठोर परिश्रम से भी पीछे नहीं हटती हैं. ऐसा ही एक जीता जागता उदाहरण है गोगिना क्षेत्र के रिठकुला, रातिरकेटी समेत अन्य गांवों के महिलाओं की, जो हर परिस्थिति में भी डटी रहती हैं. इन क्षेत्रों के बाशिंदों के पूर्वजों द्वारा पहाड़ को काटकर बनाए गए छोटे-छोटे खेतों में फसल के उत्पादन के लिए आज भी हर परिवार जुटा रहता है. गरीबी के दंश के चलते ज्यादातर परिवार खुद ही खेतों को बैलों की तरह जोतने में लगे रहते हैं, ताकि उन्हें अनाज मिल सके. 21वीं सदी में जहां हर जगह विकास की बातें हो रही हैं, वहीं इस क्षेत्र में विकास कितना पहुंचा है इसकी सच्चाई तस्वीर खुद बयां करती हैं.
साधनों की कमी से जूझ रहे हैं
बागेश्वर जिले के कपकोट क्षेत्र से करीब 30 किमी आगे शामा क्षेत्र सब्जी व फल उत्पादन मे जिले का सबसे अग्रणी क्षेत्र है. यहां के आलू और कीवी की मांग देश-विदेश में है. हर कोई यहां के किसानों की तारीफ करते नहीं थकता है. लेकिन अगर सुविधाओं और मदद की बात की जाए तो यहां कुछ विशेष दिखता नहीं है. यहां महिलाओं को कठोर परिश्रम करना पड़ता है. गोगिना की ग्राम प्रधान शीतल रौतेला का कहना है कि, गरीबी और साधनों की कमी की वजह से लोगों को ये सब करने को मजबूर होना पड़ता है. साधन होते तो कोई भी ये काम आखिर क्यों करेगा. ये दुर्भाग्य है कि दुरस्थ क्षेत्र होने और संचार की व्यवस्था नहीं होने से लोग सरकारी योजनाओं का भी पूरी तरह से लाभ भी नहीं ले पाते हैं.
सीडीओ ने दिया मदद का आश्वासन
वहीं, इस मामले का संज्ञान लेते हुए मुख्य विकास अधिकारी ने बताया कृषि विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिये कि, कपकोट ब्लॉक के उस गांव को विजिट करें और इस परिवार की मदद कर कृषि यंत्र पावर वीडर प्रदान कर तत्काल मदद करें. उहोंने बताया कि, कृषि विभाग अनुदान में क़ृषि यंत्र उपलब्ध करवाता है. ऐसे ग्रामीण जिनके पास बैल की जोड़ी नहीं है वे इस योजना का लाभ लेकर अपनी आर्थिक स्थिति सुधार सकते हैं.
जहां एक तरफ़ देश कृषि यंत्रों की नवीनतम तकनीक पर आधारित कृषि कर दिन प्रतिदिन उन्नतशील प्रगतिशील बन रहा है तो वहीं, दूसरी तरफ़ आज भी कुछ ऐसे दुगर्म ग्रामीण अंचलों में बैल जोड़ी की उपलब्धता न होने पर इंसानों को उनकी जगह लेकर खेतीबाड़ी करने को मजबूर हैं. ऐसे में ज़रूरत है कृषि विभाग की नवीनतम कृषि तकनीक ग्रामीण अंचलों तक पहुंचे.
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