प्रयागराज मोहम्मद मोईन। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि अपनी पसंद से शादी करने वालों की ज़िंदगी में किसी को भी दखल देने का हक नहीं है और अगर कोई भी उनकी शांतिपूर्ण शादीशुदा ज़िंदगी में दखल दे रहा है तो पुलिस को उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।


अदालत ने कहा है कि अगर मर्जी से शादी करने वाले जोड़ों के माता-पिता व परिवार के दूसरे सदस्य भी उन्हें परेशान कर रहे हैं या उन्हें शांति से नहीं रहने दे रहे हैं तो ऐसे हालात में पुलिस को उनके खिलाफ भी एक्शन लेना चाहिए और यह तय कराना चाहिए कि कोई भी उनकी ज़िंदगी में दखलंदाजी न कर सके।



हाईकोर्ट ने प्रयागराज के एसएसपी को यह आदेश दिया है प्रेम विवाह करने वालों को पूरी सुरक्षा प्रदान की जाए और दखल देने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा है कि अपनी मर्जी से शादी करने वालों को दो महीने में विवाह का पंजीकरण ज़रूर करा लेना चाहिए, वर्ना रजिस्ट्रेशन नहीं होने पर कोर्ट का संरक्षण देने का आदेश स्वतः समाप्त हो जायेगा।


कोर्ट ने यह भी कहा है कि यदि याचियों के माता पिता को लगता है कि गलत तथ्य देकर आदेश प्राप्त किया है तो वे आदेश वापस लेने की अर्जी दे सकते हैं। यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा ने ख़ुशी आर्या उर्फ़ खुशनुमा बानो व अन्य की याचिका पर दिया है। याची की तरफ से कोर्ट में कहा गया कि वे बालिग है। उन्होंने अपनी मर्जी से 19 दिसम्बर साल 2018 को शादी की है और परिवार वाले उन्हें परेशान कर रहे है। पुलिस भी उन्हें संरक्षण नहीं दे रही है।



याची का कहना था कि अन्तर्जातीय व अंतर्धार्मिक विवाह करने वालों को पुलिस संरक्षण देने का सुप्रीम कोर्ट का आदेश है। कोर्ट ने पुलिस प्रशासन को ऐसी शादी करने वाले बालिगों को संरक्षण देने और यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया है कि कोई उनका उत्पीड़न न करे। न धमकाने पाए, और न ही उनके खिलाफ हिंसा हो। इस पर कोर्ट ने यह आदेश दिया है।