बड़े रैकेट का भंडाफोड़, फर्जी शस्त्र लाइसेंस कांड में कलेक्ट्रेट में तैनात दो क्लर्क समेत तीन गिरफ्तार
गोरखपुर के कलेक्ट्रेट सभागार में जिलाधिकारी ने बताया कि फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले में कलेक्ट्रेट के शस्त्र अनुभाग में तैनात असलहा बाबू राम सिंह, पूर्व असलहा बाबू अशोक गुप्ता और कम्प्यूटर ऑपरेटर अजय गिरी को गिरफ्तार कर लिया गया है।
गोरखपुर, एबीपी गंगा। फर्जी शस्त्र लाइसेंस पर अवैध असलहा बेचने-खरीदने के मामले का शुक्रवार को पटाक्षेप हो गया। पुलिस ने शस्त्र अनुभाग में तैनात रहे दो असलहा बाबू (क्लर्क) और कम्प्यूटर ऑपरेटर को गिरफ्तार किया है। इसमें वर्तमान में तैनात असलहा बाबू के खिलाफ सबूत मिलने के बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया है। मामले में अब तक कुल सात आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। हैरत की बात ये है कि वर्तमान में तैनात रहे गिरफ्तार किए गए असलहा बाबू राम सिंह ने ही इस मामले में चार आरोपियों के खिलाफ जिलाधिकारी के कहने पर एफआईआर दर्ज कराई थी। दोनों असलहा बाबू और रवि आर्म्स कॉरपोरेशन के मालिक मिलकर ये गोरखधंधा चला रहे थे। इस मामले में यूनीक आईडी सिस्टम के पासवर्ड के माध्यम से बाहर से भी इसे लॉगिन कर छेड़छाड़ की जा रही थी।
गोरखपुर के कलेक्ट्रेट सभागार में जिलाधिकारी के विजयेन्द्र पाण्डियन ने बताया कि फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले में कलेक्ट्रेट के शस्त्र अनुभाग में तैनात असलहा बाबू राम सिंह, पूर्व असलहा बाबू अशोक गुप्ता और कम्प्यूटर ऑपरेटर अजय गिरी को गुरुवार की देर रात गिरफ्तार कर लिया गया है। इसमें वर्तमान असलहा बाबू राम सिंह ने ही इस मामले में वादी के रूप में पहली एफआईआर दर्ज करवाई थी, लेकिन पुलिस ने पर्याप्त सबूत मिलने के बाद उसे ही मुख्य आरोपी बनाकर गिरफ्तार कर लिया। इनके साथ पूर्व असलहा बाबू अशोक गुप्ता और कम्प्यूटर ऑपरेटर अजय गिरि को भी कैण्ट पुलिस ने गिरफ्तार किया है।
साल 2004 से ही यहां पर फर्जी शस्त्र लाइसेंस बनाने और अवैध असलहा खरीदने बेचने का गोरखधंधा चलने की बात सामने आ रही थी। डीएम ने बताया कि साल 2015 में यूनिक आई सिस्टम शुरू होने के बाद इसमें खेल शुरू हुआ। इसके पहले जारी हुए सभी लाइसेंस की जांच कराई जा रही है। पूर्व में बने और सरेंडर किए गए लाइसेंस के डेटा से छेड़छाड़ कर बाहर से फर्जी लाइसेंस बनाने के साथ इसे सरेंडर हो चुके आईडी पर चढ़ाकर भी गोरखधंधा किया जा रहा था। इसके अलावा पूर्व में रिन्यूवल के लिए आए लाइसेंस के डेटा के साथ भी छेड़छाड़ हुई है।
जिलाधिकारी ने बताया कि गोरखपुर में आजादी के बाद से अब तक कुल 22 हजार लाइसेंस गोरखपुर से जारी हुए हैं। सभी की जांच कराई जा रही है। साल 2015 से यूनिक आईडी सिस्टम शुरू हुआ। इसके माध्यम से लाइसेंस बनवाने और असलहा रखने वाले का विस्तृत ब्योरा भी सामने आ जाता है। कुछ साल तक हाईकोर्ट से रोक भी लगी हुई थी। इसके यूजर नेम और पासवर्ड शस्त्र अनुभाग में तैनात क्लर्क के पास रहता था। इसे कलेक्ट्रेट से ही यूज किया जा सकता है। लेकिन, पासवर्ड देकर इसे बाहर से भी संचालित किया गया। दो से तीन साफ्टवेयर के माध्यम से इसे बाहर से यूज कर इसमें दर्ज डिटेल में छेड़छाड़ और एडिटिंग की गई।
इसके पीछे एक तरह से पूरा गैंग काम कर रहा था। कलेक्ट्रेट के असलहा बाबू राम सिंह, पूर्व में तैनात असलहा बाबू अशोक गुप्ता, संविदा पर तैनात क्लर्क अजय गिरि और रवि आर्म्स कॉरपोरेशन का मालिक रवि प्रकाश पाण्डेय इसमें शामिल थे। इस मामले में एक और आरोपी विजय प्रकाश फरार है। कुल सात लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। तीन की गिरफ्तारी होना बाकी है, वे भी जल्द अरेस्ट हो जाएंगे। प्रशासन और पुलिस को पर्याप्त सबूत और रिकॉ मिल गए हैं। बाहर से 300 मेल, 4000 डेटा डिलीट किए गए हैं और 13 बार पेन ड्राइव का इस्तेमाल हुआ है।
पहला मामला तनवीर आलम उर्फ तनवीर खान का सामने आया। उसने साल 2009-10 में बने फर्जी शस्त्र लाइसेंस पर अवैध असलहा खरीदा था। फर्जी शस्त्र लाइसेंस और अवैध असलहा बेचने के मामले का खुलासा उस समय हुआ जब 14 अगस्त को वाट्सएप ग्रुप पर किसी ने एक शस्त्र लाइसेंस की फोटो डाल दी। जब मामला जिलाधिकारी के. विजयेन्द्र पाण्डियन के संज्ञान में आया, तो उन्होंने इसकी जांच की और इस मामले में असलहा बाबू राम सिंह की तहरीर पर आईपीसी की धारा 419, 420, 467, 468 471 और 120 बी के तहत कैंट पुलिस ने रवि आर्म्स कॉरपोरेशन के मालिक रवि प्रकाश पाण्डेय, विकास तिवारी, तनवीर आलम और शमशेर उर्फ गोपी के खिलाफ मामला दर्ज किया। पहली गिरफ्तारी हुमायूंपुर के रहने वाले तनवीर खान के रूप में हुई।
तनवीर ने फर्जी लाइसेंस पर अवैध असलहा कोतवाली इलाके के टाउनहाल स्थित रवि आर्म्स कॉरपोरेशन से खरीदा था। उसके बाद परत-दर-परत मामला खुलता गया। इसके बाद एडीएम सिटी आरके श्रीवास्तव के नेतृत्व में प्रशासन ने अलग और क्रिमिनल एफेंस के लिए एसपी सिटी डा. कौस्तुभ के नेतृत्व में एसआईटी का गठन कर दिया गया। 40 सफेदपोशों के लाइसेंस बनाकर अवैध असलहा बेचने-खरीदने के मामला संज्ञान में आने और रवि आर्म्स कॉरपोरेशन के मालिक रवि प्रकाश पाण्डेय को पर्याप्त सबूत मिलने के बाद 28 अगस्त को पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। रवि प्रकाश पाण्डेय भी पुलिस को काफी दिनों तक अलग-अलग बयान देकर गुमराह करता रहा। पुलिस की सख्ती के बाद वो टूट गया।
एडीएम सिटी आरके श्रीवास्तव और एसपी सिटी डा. कौस्तुभ के नेतृत्व में पुलिस उसे लेकर 29 अगस्त को रवि आर्म्स कॉरपोरेशन पर पहुंची। जहां से ये सारा खेल चल रहा था। पुलिस ने फिर से सील दुकान को खोलकर शस्त्र लाइसेंस बनाने से लेकर अवैध रूप से असलहा बेचने के सारे कागजात को भी जब्त कर लिया। इस मामले में खुलासा हुआ कि रवि प्रकाश पाण्डेय के साथ पूर्व असलहा बाबू अशोक गुप्ता और वर्तमान असलहा बाबू राम सिंह भी पूरी तरह से संलिप्त रहे हैं। ये सरेंडर हो चुके असलहा लाइसेंस के नंबर में खेल कर उस पर फर्जी लाइसेंस जारी कर देते थे। इसके साथ ही वे उसे वेब साइट को हैक करके खोलकर फर्जी लाइसेंस को आनलाइन अजय गिरि की मदद से चढ़ा भी देते रहे हैं, जिससे किसी को उन पर शक न हो।
इतना ही नहीं पुलिस जांच में ये भी सामने आया है कि असलहा बाबू दुकानों से बचे गए मैगजीन और असलहा का ब्योरा भी रजिस्टर में नहीं चढ़ाते थे, जिससे ये खेल बरसों तक चलता रहा और इसकी किसी को भनक तक नहीं लगी। इसके पहले फर्जी लाइसेंस और अवैध असलहा खरीदने वाले विकास तिवारी, तनवीर खान और मास्टरमाइंड कहे जाने वाले शमशेर आलम उर्फ गोपी को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। इन चारों के अलावा पुलिस ने विजय प्रताप, शमशाद आलम और प्रणय प्रताप को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने रवि को छोड़कर सभी के पास से फर्जी शस्त्र लाइसेंस और अवैध असलहा बरामद किया था।