हल्द्वानी, एबीपी गंगा। कहते हैं कि जब फागुन का रंग चढ़ता है तो सारे भेद खत्म हो जाते हैं, सिर्फ प्रेम का रंग ही शेष रह जाता है और सब उसी रंग में सराबोर रहते हैं जी हां हम बात कर रहे हैं होली की और कुमाऊं में इन दिनों होली की मस्ती छायी है।


कुमाऊं का प्रवेशद्वार हल्द्वानी जहां उत्तराखंड के विभिन्न सांस्कृतिक क्षेत्रों से लोग आकर बसे हैं, यहां रंगारंग होली की शुरुआत बसंत पंचमी से ही हो जाती है। कुमाऊं एकमात्र ऐसा क्षेत्र है जहां करीब ढाई महीने पहले ही गायन की शुरूआत हो जाती है। बैठकी होली की यह अनोखी परंपरा कुमाऊं में सदियों से चली आ रही है। पौष माह के पहले रविवार के साथ ही कुमाऊं की धरती में होली की शुरूआत हो गई है। इस अनूठी परंपरा में होली तीन चरणों में मनाई जाती है। बैठकी होली के माध्यम से पहले चरण में विरह की होली गाई जाती है और बसंत पंचमी से होली गायन में श्रृंगार रस घुल जाता है। इसके बाद महाशिवरात्री से होली के टीके तक राधा-कृष्ण और छेड़खानी-ठिठोली युक्त होली गायन चलता है।


अंत में होली अपने पूरे रंग में पहुंच जाती है और रंगों के साथ खुलकर मनाई जाती है। बैठकी होली पारम्परिक रूप से कुमाऊं के बड़े धूम धाम के साथ हारमोनियम, तबले पर गाये जाते हैं। आयो नवल बसन्त सखी ऋतुराज कहायो, पुष्प कली सब फूलन लागी, फूल ही फूल सुहायो, राधे नन्द कुंवर समझाय रही, होरी खेलो फागुन ऋतु आइ रही’ ‘आहो मोहन क्षृंगार करूं में तेरा, मोतियन मांग भरूं’ ‘अजरा पकड़ लीन्हो नन्द के छैयलवा अबके होरिन में गीतों को गाया जाता है।


बैठकी होली गायन में सभी रस और राग घुलकर इसे अपने आप मे कुमाऊं की सदियों से चली आ रही परंपरा को जीवित रखे हुए हैं। वहीं बैठकी होली में आये लखनऊ, भरतखंड लखनऊ के विभाग अध्य्क्ष, होलियार और तबला वादक मनोज मिश्रा ने बैठकी होली में अपने तबले की ध्वनि से बैठकी होली में चार चांद लगा दिये, उनके मुताबिक बैठकी होली पहाड़ों में मनोरंजन का दूसरा ही साधन था। होली का या रामलीला का इसलिए बैठकी होली पहाड़ों में बहुत ही महत्वपूर्ण है वही उनके मुताबिक बैठकी होली जो होती है वह सम्वेद होता है एकल कार्यकर्म नहीं होता है इस होली में सभी लोग एक लाइन को जोड़ते हुए जाते हैं इसलिए बैठकी होली का अपना अलग ही महत्व है।


वही युवा पीढ़ी में भी बैठकी होली का खुमार सर चढ़कर बोल रहा है युवा भी इस बैठकी होली में भी अपना योगदान देते हुए दिख रहे हैं, वहीं युवा होलियार का कहना है कि बैठकी होली से हमको सीखने का बहुत मौका मिल रहा है जिस तरह से युवा वेस्टर्न कल्चर की ओर भाग रहा है उसको क्लासिकल म्यूजिक पर भी धयान देना चाहिए इससे हमको ही फायदा होगा सीखने का मौका मिलेगा।


खड़ी होली और बैठकी होली कुमाऊं का होली का विशेष रंगमंच है, इसके अलावा होली में भगवान राम श्री कृष्ण और बन्नी भगवानों की होली भी गाई जाती है लेकिन जैसे जैसे होली का रंग अपने शबाब पर आता है तो यह होली रसिक अंदाज में भी पहुंचती है, सामाजिक एकरूपता का संदेश देने वाला यह होली त्यौहार बड़े ही हर्षोल्लास से मनाया जा रहा है।