देहरादून: उत्तराखंड वन विभाग में चल रहे सबसे अहम प्रोजेक्ट पर सवाल खड़े होने लगे हैं. मामला कॉर्बेट नेशनल पार्क से राजाजी में बाघों के स्थानांतरित होने का है. दरअसल, 2 दिन पहले जिस बाघ को राजाजी नेशनल पार्क में स्थानांतरित कर छोड़ने के दावे किए गए हकीकत में उसे काफी देरी से छोड़ा जा सका. यही नहीं ये बाघ अपनी कॉलर आईडी को हटाकर यहां से फरार होने में भी कामयाब रहा.


सवालों के घेरे में हैं अधिकारी
उत्तराखंड वन विभाग में राजाजी नेशनल पार्क से बाघिन के लापता होने का मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ है. ऐसे में करोड़ों रुपए खर्च कर बाघों को स्थानांतरित करने से जुड़े मामले में वो तमाम अधिकारी सवालों के घेरे में हैं जिनकी भूमिका बाघों को स्थानांतरित करने से जुड़ी है. दरअसल, मंगलवार को एबीपी गंगा को ये एक्सक्लूसिव जानकारी मिली कि जिस बाघ को 2 दिन पहले कॉर्बेट से राजाजी लाया गया था वो अपना कॉलर आईडी हटाकर बाड़े से फरार हो गया है. जिसके बाद सवाल उठने शुरू हो गए हैं.


जंगल की तरफ भाग गया बाघ
बता दें कि, 2 दिन पहले ही राजाजी नेशनल पार्क से इस बाघ को छोड़े जाने का दावा किया गया था. लेकिन, हकीकत में ये बाघ पार्क में ही बनी एक झोपड़ी में छिपा हुआ था. यहां से इसे जंगल की तरफ रवाना करने की कोशिश की जा रही थी लेकिन बाघ यहां से नहीं निकला. खास बात ये है कि बाघ अपना कॉलर आईडी हटाकर झोपड़ी से जंगल की तरफ भाग गया.


कॉलर आईडी के जरिए निगरानी की जाती है
बाघों को स्थानांतरित करने के दौरान उन पर कॉलर आईडी के जरिए निगरानी की जाती है. चूंकि, ये बाघ दूसरे जंगलों से लाए जाते हैं ऐसे में इनका क्षेत्र बदलने के कारण इनके अग्रेसिव होने और जंगल से बाहर निकलने का खतरा भी रहता है. इसी को देखने के लिए कॉलर आईडी लगाई जाती है ताकि इन पर निगरानी रखी जा सके. लेकिन, जिस तरह से बाघ कॉलर आईडी निकालकर जंगल की तरफ रवाना हुआ है उसके बाद कहीं ना कहीं उस टीम पर सवाल खड़े होने लगे हैं जिसपर बाघ को स्थानांतरित करने का जिम्मा था.

टीम के अनुभव पर भी सवाल
सवाल ये है कि चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन और डायरेक्टर राजाजी नेशनल पार्क की तरफ से क्या इस पूरे प्रोजेक्ट को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है. साथ ही इस टीम के अनुभव पर भी सवाल खड़े किए जा रहे हैं. हालांकि, इस पूरे प्रोग्राम के तहत एनटीसीए के अधिकारी इस पर निगरानी रखे हुए हैं लेकिन इसके बावजूद भी जिस तरह से कॉलर आईडी को बाघ ने हटाया है उसके बाद वन विभाग के अधिकारियों पर सवाल तो जरूर खड़े होंगे.



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