विश्व बाघ दिवस हो और पीलीभीत टाइगर रिज़र्व का नाम न आए ऐसा हो ही नहीं सकता, देशभर के साथ ही पीलीभीत में 29 जुलाई के दिन विश्व बाघ दिवस मनाया गया. दुनियाभर में जब बाघ के आंकड़े निकाले जाते हैं तो भारत के पीलीभीत के बाघ की संख्या का विशेष महत्व होता है. पीलीभीत के जंगल में बाघों की संख्या 70 के आस पास है.
ताज्जुब की बात तो ये है कि जिले में बाघों के कुनबे को बढ़ाने के लिये किसी प्रकार का कोई कार्यक्रम नहीं चलाया गया. जिले की जल, जंगल और जमीन सभी बाघ के लिये अनकूल है. बाघ को जिले के मानचित्र पर निखारने का काम जिले के जिला अधिकारी पुलकित खरे ने किया है. जिले में हर तरफ बाघ की मूर्तियां देखने को मिलेंगी, इसके साथ ही इनके नाम से चौराहे तक बन गए हैं. इतना ही नहीं जिला अधिकारी से लेकर सभी सरकारी कार्यालय में बाघ देखने को मिलेंगे.
वहीं दूसरी ओर विश्व बाघ दिवस को लेकर समाजिक कार्यकर्ता वन्य जीव प्रेमी की ओर से कार्यक्रम आयोजित किए गए. इस दौरान जिले में मानव एवं वन्य जीव संघर्ष के बीच हुई घटनाओं के कारण बाघों की मौत को लेकर श्रद्धांजलि अर्पित कर शोक व्यक्त करते हुए सरकार से बाघों के संरक्षण केंद्र बनाए जाने की मांग की है.
बता दें कि दुनियाभर के मात्र 13 देशों में ही बाघ पाए जाते हैं, वहीं इसके 70 प्रतिशत बाघ केवल भारत में हैं. साल 2010 में भारत में बाघों की संख्या 1 हजार 7 सौ के करीब पहुंच गई थी. जिसके बाद लोगों में बाघों के प्रति जागरुकता फैलाने के लिए साल 2010 में रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में एक शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया. जिसमें हर साल अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाए जाने की घोषणा की गई.
अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के जरिए लोगों को बाघ के संरक्षण के प्रति जागरूक किया जाता है. बता दें कि देशभर में बाघों की जनगणना हर चार साल में होती है. जिससे उनकी ग्रोथ रेट का पता लगाया जाता है. साल 2010 में की गई गणना के मुताबिक बाघों की संख्या 1706 थी, वहीं साल 2018 की गणना के अनुसार देशमें बाघों की संख्या बढ़कर 2967 हो गई है. वहीं साल 1973 में देशभर में मात्र 9 टाइगर रिजर्व ही थे, जिसकी संख्या अब बढ़कर 51 हो गई है.
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