पीलीभीत, एबीपी गंगा। पीलीभीत को देश का 49वें टाइगर रिजर्व के नाम से जाना जाता है. तराई क्षेत्र में स्थित जंगलों के बीच अनुकूल वातावरण में इन दिनो बाघों का कुनबा तेजी से बढ़ रहा है. यही नहीं दूर-दूर विदेश से आए पर्यटकों को ये टाइगर रिजर्व इसिलिए भी लुभाता है क्योंकि यहां आकार में लंबे बाघ पीलीभीत टाइगर रिजर्व में ही पाए जाते हैं. जिसको लेकर बाघ संरक्षण के लिए वन विभाग लगातार प्रयासरत है.


यूपी के तराई में स्थित पीलीभीत टाइगर रिजर्व के हिमालय की तलहटी से लगे जंगलों में इन दिनों बाघों की संख्या में बढ़ती हुई दिखाई दे रही है. वजह है तराई का अनूलकूल वातावरण और नदियों के किनारे का वन्य क्षेत्र जो बाघों को खूब लुभा रहा है. यही वजह है कि वनस्पतियों के जंगल में बाघों का कुनबा तेजी से बढ़ रहा है. आज पीलीभीत टाइगर रिजर्व में गणना के अनुसार लगभग 65 से 70 बाघों की संख्या पाई गई है. जिसको लेकर वन्य जीव प्रेमियों में खुशी भी देखने को मिल रही है. यही नहीं आस पास जंगल से सटे क्षेत्रों में जंगल से बाहर विचरण करते बाघ की चहल कदमी को लोगो ने भी कैमरे में कैद किया है.


डीएफओ नवीन खंडेलवाल ने बताया कि पीलीभीत टाइगर रिजर्व में बाघों की गणना के अनुसार 65 बाघ हैं. जिनके संरक्ष्ण के लिए लगातार प्रयास जारी हैं. तराई क्षेत्र में अनकूल वातारण व वन्य सुविधाओ के चलते यहां बड़े बाघ पाए जाते हैं.


वन्य जीव प्रेमी ने शिवम का साफ तौर पर कहना है कि पीलीभीत को 09 जून 2014 में टाइगर रिजर्व घोषित किया गया. जो कि 73 हजार वर्ग हेक्टेयर में फैला हुआ है, यहां पर एशिया में सबसे बड़े बाघ पाए जाते हैं. 29 जुलाई को बाघ दिवस के दिन सरकार की गणना के अनुसार 65 टाइगर हैं. जिसको लेकर भारत सरकार ने भी बाघों के बेहतर संरक्षण के लिए खुशी जाहिर की है. पीलीभीत हिमालय का उतरांव तराई है. इसीलिए यहां का वातारण अनुकूल और प्रदूषण से मुक्त है. इसीलिए भी वन्य जीवों के संरक्षण के लिए सुरक्षित स्थान वन्य वनस्पतियों आदि से भरपूर है. शिवम मांग कर रहे हैं कि सरकार जंगल मे वन्य क्षेत्र में किए गए अवैध कब्जे को मुक्त करवाए. जिससे बाघों के बढ़ती संख्या और उनके कुनबे का सनरक्षण किया जा सके.


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