देहरादून, एजेंसी। कॉर्बेट नेशनल पार्क में रामगंगा नदी में प्लास्टिक चबाते तीन बाघों की तस्वीरें सामने आईं हैं। वन्य जीव विशेषज्ञों ने प्लास्टिक को बाघों के लिए जानलेवा बताया है। हैरानी इस बात ये है कि कॉर्बेट के भीतर प्रतिबंधित होने के बावजूद प्लास्टिक बाघों तक कैसे पहुंचा।
अभयारण्य के उपनिदेशक चंद्रशेखर जोशी ने बताया कि संरक्षित क्षेत्र में प्लास्टिक के प्रयोग पर प्रतिबंध के मद्देनजर इस बात की जांच के आदेश दिए गये हैं कि फोटो में दिखाई देने वाला प्लास्टिक का डिब्बा अभयारण्य तक कैसे पहुंचा।
जोशी ने कहा कि हांलांकि इस मामले की जांच की जा रही है लेकिन चमोली जिले के गैरसैंण इलाके से निकलकर नैनीताल जिले के रामनगर तक पहुंचने वाली रामगंगा नदी के पानी में इस प्लास्टिक के डिब्बे के बहकर वहां पहुंचने की संभावना से भी इन्कार नहीं किया जा सकता है।
जोशी ने कहा कि नदी के किनारे पर बहुत से गांव बसे हैं और हो सकता है कि वहीं के किसी निवासी ने डिब्बा नदी में फेंका हो। उन्होंने कहा कि प्लास्टिक का डिब्बा चबाते बाघों की फोटो बहुत चिंताजनक है क्योंकि इससे संरक्षित क्षेत्र में जानवरों की सुरक्षा पर सवाल खड़े होते हैं।
उत्तराखंड के नैनीताल जिला अंतर्गत रामनगर स्थित कॉर्बेट पार्क के 1288 वर्ग किलोमीटर के जंगल में 250 से अधिक बाघ हैं। वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर त्रिकांश शर्मा ने बीते 30 जनवरी को ढिकाला जोन की बाघिन व उसके दो शावकों को सांभर रोड स्थित रामगंगा नदी में ही अठखेलियां करते देखा था। त्रिकांश करीब एक घंटे तक बाघों से कुछ दूरी पर रहकर फोटो खींचते रहे। इसी दौरान उन्होंने बाघों को नदी से प्लास्टिक की कोई वस्तु को शिकार की तरह झपटकर खाते देखा।
इस पूरे मामले पर राज्य के वनमंत्री हरक सिंह रावत ने कहा कि यह मामला बहुत 'गंभीर' है और अभयारण्य के अधिकारियों से इस संबंध में एक विस्तृत रिपोर्ट तलब की है।