प्रयागराज: मस्ज़िदों से लाउडस्पीकर से तेज आवाज में अजान पर मचे कोहराम के बीच आईजी प्रयागराज केपी सिंह ने रेंज के चारों जिलों के डीएम और एसएसपी को पत्र भेजा है. पत्र में पॉल्यूशन एक्ट, हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का सख्ती से पालन किए जाने की बात कही गई है. रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक पूरी तरह से लाउडस्पीकर बजाने पर पाबंदी रहेगी.


आईजी के मुताबिक गाजीपुर से सांसद अफजाल अंसारी की जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने कहा था कि लाउडस्पीकर से अज़ान इस्लाम का धार्मिक हिस्सा नहीं है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अजान इस्लाम का धार्मिक भाग है. लोगों को बिना ध्वनि प्रदूषण नींद का अधिकार है और यह जीवन के मूल अधिकार में शामिल है. किसी को भी अपने मूल अधिकारों के लिए दूसरे के मूल अधिकारों का उल्लंघन का अधिकार नहीं है.  आईजी के मुताबिक पॉल्यूशन एक्ट में भी रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक लाउडस्पीकर बजाने की मनाही है.


बता दें इस पूरे मामले की शुरुआत तब हुई जब भोर में लाउडस्पीकर से होने वाली अजान से नींद में खलल पड़ने से ‘‘परेशान’’ इलाहाबाद विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव ने जिलाधिकारी भानु चंद्र गोस्वामी को एक पत्र लिखकर कार्रवाई करने का अनुरोध किया. इस पत्र के सार्वजनिक होने के बाद मस्जिद के मौलवी ने स्वयं लाउडस्पीकर की दिशा बदल दी और ध्वनि कम कर दी।


पुलिस क्षेत्राधिकारी सुदीप कुमार ने बताया कि सिविल लाइंस में आईजी कार्यालय के पास ही इलाहाबाद विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव का आवास है तथा उनके आवास के पास की मस्जिद में लाउडस्पीकर से अजान पर रोक संबंधी संगीता श्रीवास्तव का पत्र सार्वजनिक होने के बाद मस्जिद के मौलवी ने खुद ही लाउडस्पीकर की दिशा बदल दी और ध्वनि का स्तर घटा दिया।


कुलपति ने तीन मार्च, 2021 को लिखे इस पत्र में कहा, “प्रतिदिन सुबह साढे पांच बजे मेरे घर के पास स्थित मस्जिद पर लगे लाउडस्पीकर से मौलवी द्वारा अजान की जाती है जिससे मेरी नींद टूट जाती है और नींद ऐसी टूटती है कि लाख कोशिशों के बावजूद दोबारा नींद नहीं आती।”


प्रोफेसर श्रीवास्तव ने लिखा है, ‘‘ नींद पूरी नहीं होने से दिनभर सिरदर्द बना रहता है जिससे उनका कार्य प्रभावित होता है। मैं किसी धर्म या जाति के खिलाफ नहीं हूं और वे माइक के बगैर अजान कर सकते हैं जिससे दूसरे लोग प्रभावित ना हों।’’


पत्र में कहा गया है, ‘‘ ईद से पहले ही वे सुबह चार बजे माइक पर सहरी का ऐलान करते हैं। इस व्यवस्था से भी दूसरे लोगों को परेशानी होती है। भारत का संविधान सभी समुदायों को शांतिपूर्ण तरीके से साथ रहने का अधिकार देता है जिसका ईमानदारी से पालन किया जाना चाहिए।’’


कुलपति ने 2020 की जनहित याचिका (अफजल अंसारी एवं दो अन्य बनाम उत्तर प्रदेश सरकार एवं दो अन्य) में इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश का हवाला देते हुए जिलाधिकारी से इस संबंध में त्वरित कार्रवाई का अनुरोध किया। उन्होंने इस पत्र की एक प्रति मंडलायुक्त, प्रयागराज, पुलिस महानिरीक्षक (प्रयागराज रेंज) और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को भी भेजी.


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