देहरादून: महज 21 साल पहले अस्तित्व में आए उत्तराखंड की सियासत में शुरुआत से ही अस्थिरता का दौर रहा है. उत्तराखंड के 21 साल इतिहास में एक मुख्यमंत्री के सिवाय कोई 5 साल तक कुर्सी नहीं संभाल सका. चार महीने पहले मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले तीरथ सिंह रावत ने भी अपना इस्तीफा दे दिया है. अब तक कुल नौ अलग-अलग मुख्यमंत्री शपथ ले चुके हैं. अकेले बीजेपी ने ही छह बार अपने मुख्यमंत्री बदले हैं, अब सातवीं बार नया मुख्यमंत्री चुना जा रहा है.


नित्यानंद स्वामी बने पहले मुख्यमंत्री
साल 2000 में उत्तराखंड को अलग राज्य घोषित किया गया था. तब पहली बार बीजेपी को सरकार बनाने का मौका मिला. बीजेपी के नित्यानंद स्वामी को मुख्यमंत्री पद के लिए चुना. लेकिन सालभर के भीतर ही उनको कुर्सी छोड़नी पड़ती है. 9 नवंबर 2000 से 29 अक्टूबर 2001 तक नित्यानंद स्वामी मुख्यमंत्री रहे. 30 अक्टूबर 2001 को बीजेपी नेता भगत कोश्यारी ने कुर्सी संभाली. लेकिन उनका सफर भी महज 122 दिन (1 मार्च 2002) में समाप्त हो जाता है. भगत सिंह कोश्यारी आजकल महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं. 


कांग्रेस को मिली सत्ता
साल 2002 में उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव हुए लेकिन बीजेपी फिर अपनी सरकार नहीं बना पाई. शानदार प्रदर्शन करते हुए कांग्रेस ने पहली बार उत्तराखंड में अपनी सरकार बनाई. दो मार्च 2002 को नारायण दत्त तिवारी मुख्यमंत्री बनते हैं. एनडी तिवारी ही एक मात्र ऐसे मुख्यमंत्री रहे, जिन्होंने 5 साल का कार्यकाल पूरा किया.


दूसरी विधानसभा में बीजेपी की वापसी
साल 2007 में दूसरी विधानसभा के लिए उत्तराखंड में चुनाव हुए और बीजेपी फिर सत्ता में आई. भुवन चंद्र खंडूरी को मुख्यमंत्री बनाया गया. लेकिन दो साल 4 महीनों के भीतर ही उनकी कुर्सी रमेश पोखरियाल निशंक को दे दी गई. दो साल बाद पासा फिर पलटा. भुवन चंद्र खंडूरी एक बार मुख्यमंत्री बनते हैं, लेकिन सिर्फ 6 महीनों के लिए.


तीसरा विधानसभा में कांग्रेस ने भी बदला सीएम
साल 2012 में तीसरी विधानसभा के लिए चुनाव हुए. एक बार फिर सत्ता कांग्रेस के हाथ में आती है. कांग्रेस ने कद्दावर नेता विजय बहुगुणा जोशी मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते हैं. लेकिन मुख्यमंत्री बदलने की प्रथा कांग्रेस ने भी नहीं तोड़ी. बहुगुणा को भी 2 साल बाद गद्दी छोड़नी पड़ी. कांग्रेस नेता हरीश रावत उत्तराखंड कांग्रेस सरकार की बागडोर संभालते हैं. हरीश रावत दो साल दो महीने तक मुख्यमंत्री रहे. इसके यहां राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया. इसके बाद 11 मई 2016 से 18 मार्च 2017 तक के लिए हरीश रावत फिर मुख्यमंत्री बने. 


2017 में बीजेपी ने त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया
साल 2017 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के हाथों से सत्ता चली गई. बीजेपी ने पूर्ण बहुमत से अपनी सरकार बनाई. इस बार बीजेपी ने त्रिवेंद्र सिंह को मुख्यमंत्री बनया. उन्होंने चार साल तक राज्य की सत्ता संभाली. ऐसा माना जा रहा था कि पांच साल कार्यकाल पूरा करने वाले वह दूसरे मुख्यमंत्री होंगे, लेकिन ऐसा नहीं हो सका. राज्य में कई बीजेपी नेता ही उनसे खुश नहीं थे. ऐसे में तीरथ सिंह रावत को सीएम बनाने का फैसला हुआ. 10 मार्च 2021 को तीरथ सिंह रावत ने मुख्यमंत्री पद की कमान संभाली. लेकिन 114 दिनों बाद ही उन्हें यह पद छोड़ना पड़ा. बीजेपी ने शनिवार की दोपहर तीन बजे से पार्टी विधायक दल की बैठक बुलाई है, जिसमें मुख्यमंत्री का नया चेहरा तय होगा.


ये भी पढ़ें-
मुख्यमंत्री बनते ही सुर्खियों में आ गए थे तीरथ सिंह रावत, जानिए- वो बयान जिन पर खूब मचा बवाल


कोरोना की दूसरी लहर खत्म नहीं हुई, तीसरी लहर का आना या न आना हमारे हाथ में है- डॉ वीके पॉल