नई दिल्ली: उत्तराखंड की राजनीति में बदलाव की सुगबुगाहट के संकेत मिल रहे हैं. मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत दिल्ली में हैं. बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से उनकी मुलाकात हुई है. मुलाकात करीब आधे घंटे तक चली है. इससे पहले उनकी गृह मंत्री अमित शाह से भी मुलाकात की खबरें सूत्रों से हवाले से आ चुकी है. इसी साल मार्च में तीरथ रावत मुख्यमंत्री बनाये गये थे. तब त्रिवेंद्र सिंह रावत को परफॉरमेंस के आधार पर हटाया गया था.
अब तीरथ रावत अगर हटते हैं तो फिर क्या वजह हो सकती है उसको लेकर अटकलों का बाजार गर्म है. ऐसी चर्चा है कि अगले साल शुरुआत में होने वाले चुनाव में बीजेपी तीरथ के नेतृत्व में लड़ने का शायद रिस्क नहीं लेना चाहती क्योंकि फीड बैक शायद पक्ष में नहीं है.
इसके लिए जो आधार सार्वजनिक तौर पर बन सकता है वो है विधानसभा की सदस्यता का. तीरथ सिंह रावत अभी विधानसभा के सदस्य नहीं हैं और सीएम बने रहने के लिए उन्हें 10 सितंबर तक विधायक बनना होगा. राज्य में विधानसभा की कुछ सीटें खाली हैं लेकिन उन पर चुनाव की कोई सुगबुगाहट नहीं दिख रही. ऐसे में तीरथ कैसे सीएम बने रह पाएंगे इसको लेकर सवाल है. माना जा रहा है कि इसी को लेकर दिल्ली में मंथन चल रहा है.
अगर तीरथ को हटाते हैं तो फिर बीजेपी किसे सीएम बनाएगी?
उत्तराखंड की राजनीति भी दिलचस्प है. बीजेपी का कोई मुख्यमंत्री यहां पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है. 21 साल में यहां 9 मुख्यमंत्री हो चुके हैं. सिर्फ कांग्रेस के एनडी तिवारी पांच साल सीएम रहे. 2017 में बंपर जीत के बाद त्रिवेंद्र रावत सीएम बने लेकिन चार साल तक रह पाये. तीरथ सिंह रावत को लेकर जो चर्चा है उसको अगर सही मान लें तो वो 4 महीने ही रह पाएंगे. अब सवाल ये है कि अगर तीरथ को हटाते हैं तो फिर बीजेपी किसे सीएम बनाएगी.
तीरथ सिंह रावत जब से सीएम बने तब से उनके नाम के साथ विवादों का भी जुड़ाव हो गया. पहले तो उन्होंने ये कहकर सबको चौंकाया कि उन्हें पता ही नहीं था कि सीएम बनने जा रहे हैं. सीधा उन्हें देहरादून भेजकर शपथ के लिए कहा गया. उन्होंने विवाद तब खड़ा किया जब लड़कियों की फटी जींस को लेकर टिप्पणी की. गंगा जल से कोरोना नहीं होता ये कहकर भी उन्होंने अपनी छवि विवादित नेता की बनाई.
तीरथ सिंह बतौर सीएम फेल रहे- कांग्रेस
तीरथ सिंह रावत के मुद्दे को लेकर कांग्रेस का कहना है कि तीरथ रावत भी खुद को एक मुख्यमंत्री के रुप में साबित नहीं कर पाए हैं. यही वजह है कि बीजेपी इनके नेतृत्व में चुनाव में जाने से डर रही है.
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